बुधवार, 30 दिसंबर 2020

Hindi kahaniya- Birbal ki khichdi

birbal ki khichdi

बीरबल की खिचड़ी -

एक बार शहंशाह अकबर अपने बगीचे में भ्रमण कर रहे थे। भ्रमण करते हुए वह अपने सलाहकार से कहते है। इस वर्ष बहुत ज़्यदा ठण्ड पड़ रही है। तब सलाहकार कहते है सही कहाँ जहाँपना , ठण्ड में लोग बहुत काम घर से बहार निकलते है. अकबर कहते है , काम तो फिर भी उन्हें करना ही होगा. अकबर फिर नदी किनारे बैठ जाते है। जैसे ही वह पानी में हाथ डालते है. तब उनको बहुत जयदा ठंडा पानी महसूस होता है। 

अकबर फिर कहते है ,आप सही कह रहे  है मान्यवर , ऐसी सर्दी में कौन बहार निकलेगा। बीरबल बोलते है, में आप से सहमत नहीं हु हज़ूर। अकबर आप हमारे खिलाफ जा रहे है. बीरबल कहते है नहीं जनाब, इस संसार में ऐसे भी लोग मौजूद है , जो पैसो के लिए कुछ भी कर सकते है. अकबर कहते है में आपसे सहमत नहीं हूँ। में नहीं मानता , कोई भी व्यक्ति थोड़े से पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाएं।

बीरबल कहते है, जहाँपना आपके नगर में ऐसे भी व्यक्ति है जो थोड़े से पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते है. अकबर कहते है , इस बात को साबित करके दिखाओ. अकबर कहते है , क्या तुम ऐसे आदमी को ला सकते हो जो इस पानी में पूरी रात बिता सके। में उस व्यक्ति को ५ सोने की मुद्रा दूंगा. बीरबल कहते है , हज़ूर इतने काम स्वर्ण मुद्रा के लिए भी कोई ना कोई मिल जयगा. 

बीरबल कहते है , जहाँपना में आज ही ऐसे व्यक्ति को ले आऊंगा. अकबर कहते है , ठीक है आप यह चुनौती पूरी कर के दिखाये। शाम में दरबार लगता है , बीरबल कहते है ,जहाँपना मुझे चुनौती स्वीकार करने वाला व्यक्ति मिल गया है। अकबर कहते है , उन्हें जल्द बुलाये हम उनसे से मिलना चाहते है. तभी दरबार में मोनू राम नाम के व्यक्ति को लाया जाता है , अकबर कहते है तुम्हे क्या करना है पता है ना तुम्हे. मोनू कहता है हां जहाँपना हमे पता है. अकबर कहते है इस व्यक्ति की निगरानी में २ सैनिक लगाए जाये। 

इसका अच्छे से ध्यान रखा जाये ,क्या पता उस ठंडे पानी में रहने से ये रात इसकी आखरी रात हो. अगली सुबह अकबर पूछते है , वह व्यक्ति कहाँ पर है. तभी उस व्यक्ति को दरबार में पेश किया जाता है. अकबर पूछते है कैसी गयी रात तुम्हारी. मोनू जवाब देता है , काट गयी जैसे तैसे , अकबर कहते मुझे यकीन नहीं होता है. मोनू कहता है अपने सैनिक से पूछ ले में पूरी रात पानी में था. अकबर कहते है ,मुझे यकीन नहीं होता, क्या किया तुमने सारी रात।

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मोनू जवाब देता है , हज़ूर शुरू में तो मुश्किल था ,परन्तु फिर मुझे दूर एक घर में एक लो दिखयी दी। उस लो को आग मान कर मैने पूरी रात निकाल दी. अकबर कहते है अच्छा उस दिए से गर्मी ले कर तुमने पूरी रात निकली है , अकबर कहते है तुमने हमारे साथ धोखा किया है। अकबर ,मोनू को जेल भिजवा देते है. बीरबल इस बात से काफी दुखी होते है और वह घर चले जाते है. 

२ दिन हो जाते है परन्तु बीरबल दरबार नहीं आते है , अकबर एक सैनिक को बीरबल को बोलने को भेजते है. सैनिक वापिस आ कर कहते है बीरबल कह रहे है वो खाना बना रहे है खाना बनते ही आ जायँगे। अकबर कहते है हम खुद उनके घर जायँगे ,वहाँ पर जा कर अकबर पाते है ,बीरबल एक ५० फ़ीट ऊपर टंगी हाडी में खिचड़ी पका रहे है , अकबर कहते है बीरबल इतनी ऊंचाई  रखी हांड़ी में खिचड़ी कैसे पक सकती है। बीरबल उतर देते है ,जैसे मोनू को काफी दूर रखे दिए से गर्मी मिल रही थी उसी तरह। 

अकबर अपनी गलती मान लेते है. और मोनू को रही व इनाम देते है.अकबर फिर बीरबल की होशियारी की प्रसंसा करते है।   

दोस्तों आप सभी को हिंदी कहानियां की तरफ से हैप्पी हरियाली तीज की मुबारक. सलमान कैसे तीज मानते है वो भी देख लेना 

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रविवार, 27 दिसंबर 2020

dudh ki kahani || akbar birbal ki kahaniya

dudh ki kahani akbar birbal ki kahaniya

दूध की कहानी -

अकबर अपने दरबार में बैठे हुआ थे। सभी सभागन उनकी बाते ध्यान से सुन रही थी। अकबर बोलते बोलते कहते है। हम यह मानते है बीरबल हम सभी में सबसे ज़्यदा होशियार है. सभा के अंदर कुछ लोग उनसे सहमत थे व कुछ नहीं। इन्ही सभी में से एक थे दीनानाथ। 

अकबर उन्हें पुकार कर कहते है दीनानाथ जी क्या आप हमारी बात से सहमत नहीं है. दीनानाथ जी कहते है हज़ूर मैने बस बीरबल  के किस्से सुनने है, परन्तु प्रत्यक्ष रूप से उनकी होश्यारी नहीं देखि. 

अकबर पूछते है बीरबल के किस्से पुरे भारत प्रदेश में प्रचलित है।  आपको उनकी चालक बुद्धि पर यकीन नहीं है. दीनानाथ इसका जवाब नहीं दे पाए। फिर शहंशाह अकबर कहते है अगर आपको यकीन नहीं है तो बीरबल के सामने कोई भी चुनौती रख दे हमे यकीन है वो उस चुनौती में सफल होँगे. 

दीनानाथ कहते है हज़ूर अगर बीरबल इतने जयदा बुद्धि वाले है तो वह हमारे सामने सांड का दूध ला कर रख दे. में मान जाऊंगा वह सबसे जयदा बुद्धि वाले है. 


पुरे राजदरबार में हलचल मच जाती है। अकबर भी कहते है यह कैसी चुनौती दी है तुमने ,यह अस्मभ है पूरा करना। दीनानाथ कहते है हज़ूर आप ही कहते है बीरबल जितना तेजज  कोई नहीं। 

अकबर कहते है बीरबल यह चुनौती स्वीकार है तुम्हे। बीरबल कहते है ,हज़ूर आपकी अगर यही इच्छा है तो यह इच्छा पूरी होगी आपकी। अकबर कहते है ठीक है बीरबल आप इस गुत्थी को जल्द सुलझये। ऐसा कह कर अकबर दरबार से चले जाते है। 

रात में अकबर जब सो रहे होते है तब उन्हें कुछ अजीबो गरीब आवाज सुनाई देती है। अकबर एक सिपाहई को बोलते है उससे कहते है इस आवाज को बंद करवाओ। 

ऐसा कह कर वो फिर सो जाते है। थोड़ी देर बाद फिर से आवाज आने लगती है। अकबर अब गुस्से में उठते है और दरबान पे चिलाते हुए कहते है कौन है यह इसको पकड़ कर मेरे सामने लाओ। दरबान बहार जाते है और वह पर पाते है एक लड़की कपड़े धो रही होती है. दरबान उसे पकड़ते है और अकबर के सामने पेश कर देते है। 

अकबर कहते है लड़की तुम इतनी रात को यहां क्या कर रही हो , तुमने हमारी नींद खराब की है इस बात की एक सही वजह दो. लड़की उतर देती है ,हज़ूर मुझे माफ़ क्र दी जिए मने आपकी नींद खराब की.परन्तु मेरी माँ मायके गयी हुई है और पिताजी ने एक लड़के को जन्म दिया है इसलिए मुझे अभी कपड़े धोने पड़ रहे है. 

अकबर कहते है तुम्हारी माँ अगर मायके गयी है तो बच्चे को जन्म किसने दिया। लड़की उतर देती है मेरा पिताजी ने। अकबर गुस्से में कहते है तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है. एक आदमी बच्चे को जन्म कैसे दे सकता है। लड़की उतर देती है आपके राज्ये में तो कुछ भी हो सकता है। 

अपने सुना नहीं सांड भी दूध देने लग गए है तो मेरा पिता क्यों नहीं बच्चे को जन्म दे सकते. अकबर अपनी गलती समझ जाते है। कहते है बेटा जाओ और बीरबल से कहना हम अपनी गलती समझ गए है। अगले दिन अकबर दरबर में कल रात का किस्सा सुनते है और कहते है बीरबल जितना चतुर कोई नहीं है.

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बुधवार, 23 दिसंबर 2020

Akbar Birbal KI Kahani - Maut Se Wapsi

maut se wapisi

मौत से वापिसी -

कहानी शुरू होती है अकबर और महारानी की नोकझोक से ,महारानी अकबर से कहती है मेरा भाई मानसिंह बीरबल से ज़्यदा अक्लमंद है परन्तु अकबर इस बात से सहमत नहीं होते है वह कहते है बीरबल जितना तेज दिमाग किसी का नहीं हो सकता। 

महारानी कहती है मानसिंह एक मौका मिलगा तो वह साबित कर देगा वह तेज दिमाग का है। तब अकबर कहते है ठीक है हम दोनों को एक विदेश दौरे पर भेजंगे ,हमे पता है बीरबल की वजह से दोनों  सफल लौटगे। 

अगली सुबह अकबर , बीरबल और मानसिंह को ईरान में उनका साही पैगाम ले कर जाने को कहते है. बीरबल और मानसिंह ईरान के लिए निकल जाते है। ईरान में जा कर, दोनों वहाँ के सम्राट से मिलते है। सम्राट दोनों की बहुत प्रसंसा करते है। बीरबल सम्राट को शहंशाह अकबर की चिठ्ठी देते है। 

उस चिठ्ठी को पढ़ कर सम्राट चकर में पड़ जाते है। उस चिठ्ठी के अनुसार बीरबल और मानसिंह को मौत की सजा देने का प्रवधान था। 

सम्राट शहंशाह अकबर का आदेश नहीं टाल सकते थे इस लिए वो सिपाहीओं को आदेश देते है दोनों को बंधी बना लो कल सुबह इन्हे फांसी पे लटका दिया जायगा. 

बीरबल और मानसिंह इस पैगाम से अचंभित भी थे और हैरान भी , मानसिंह इस घटना से ज़्यदा ही डर गया था और वह सम्राट के आगे गिड़गिड़ने लग गया था। परन्तु बीरबल बिकुल भी नहीं घबराये और शांति से चुपचाप चले गए. 

कारगर के अंदर मानसिंह बीरबल से झगड़ने लगता है कहता है जब सम्राट सजा सुना रहे थे तुम एक शब्द भी नहीं बोले। बीरबल कहते है चिंता मत कीजिये हमे कुछ नहीं होगा। बीरबल कहते है शहंशाह ऐसा को किया में इस बात पर विचार कर रहा हु। 

मांनसिंघ कहते है हम कल मर जायँगे और तुम क्यों मरेंगे इस बात पर विचार कर रहे हो। बीरबल कहते है हम कल सुबह आज़ाद हो जायँगे में जैसा कहु बस वैसे ही करना तुम. 

अगले दिन , बीरबल फांसी वाली जगह पर पूछ कर बोलते है हज़ूर मुझे पहले फांसी प चढ़ना है। मानसिंह कहता है न न न , में चढूँगा पहले फांसी। फिर मानसिंह कहता है में अकबर का साला हु इस नाते में तुम से जयदा बड़ा हुआ इस लिए में फांसी चढूँगा पहले। 

सम्राट और सभी आसपास के लोग आचर्य में पड़ गए ,सम्राट कहते है तुम दोनों अजीब हो डर नहीं लगता फांसी पे चढ़ने से। बीरबल कहते है किस बात का डरना हज़ूर , अगर फांसी लगने  से इनाम मिलगा तो कोई डर नहीं है। 

सम्राट कहते है कैसा इनाम, बीरबल कहते है हमारे बहुत बड़े ज्ञानी पंडित ने एक भविस्येवानी की थी। आज के दिन जिसको पहले फांसी लगेगी वो इन्दर लोक का राजा बनेगा। और जो दूसरे नंबर पे चढ़गा वो मंत्री बनेगा। 

इस बात को सुनकर सम्राट के मन्न में लालच आ जाता है वो कहते है तुम दोनों आज़ाद हो वापिस अपने वतन लोट जाओ। जब बीरबल और मानसिंह वापिस चले जाते है सम्राट खुद अपने आप को फांसी पे लटकवा लेते है। 

यहाँ पर बीरबल और मानसिंह वापिस अकबर के दरबार में आ जाते है। अकबर पूछते है हम यह जाने के लिए बेताब है आप लोग कैसे मौत से बच कर वापिस आ गए।  मानसिंह उतर देते है बीरबल के दिमाग की वजह से आज हम दोनों जिन्दा है और वह पूरा किस्सा सुना देते है। तब अकबर रानी को कहते है  रानी अब आप मान गयी ना बीरबल की होश्यारी।  

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रविवार, 20 दिसंबर 2020

Akbar Birbal Jadui Kua Ki Kahani

jadui kua ki kahani

जादुई कुआं की कहानी -

जादुई कुए की कहानी शुरू होती है शहंशाह अकबर के दरबार से , एक दिन शहंशाह अकबर अपने दरबार में बैठ कर महान गायक तानसेन जी के राग सुन रहे थे। उन्होंने पूरे दरबार में तानसेन जी बहुत प्रशंसा की परन्तु बीरबल जी ने कोई उत्तर नहीं दिया। शहंशाह अकबर कहते है बीरबल क्या आप मेरी बात से सहमत नहीं है। बीरबल जवाब देते है 

हज़ूर में मानता हु तानसेन जी बहुत अच्छे गायक है परन्तु उनसे भी बड़ा फनकार इस संसार में मौजूद है। इतने में अकबर एक पास के कुए में अपनी सोने की अंघूटी डाल देते है और कहते है बीरबल अब आपके पास दो काम है एक तानसेन से बड़ा फनकार ढूढ के लाओ और दूसरा मेरी अंघूटी कुए से बहार निकलो बिना इसमें उतरे. 

अगले दिन अकबर बीरबल से कहते है बीरबल कहाँ है तानसेन से बड़ा फनकार तब बीरबल उत्तर देते है,तानसेन के पिता तानसेन से भी अच्छा गाते है अकबर कहते है बीरबल उन्हें बुलाओ फिर, तानसेन जवाब देते है वो कभी घर से बहार नहीं निकलते इसलिए हमे ही वहाँ उनका संगीत सुनने जाना होगा। अकबर अगले दिन तानसेन के पिता का संगीत सुनने निकल जाते है। 

जब अकबर और उसके सभी मंत्री तानसेन के पिता की कुटिया के बहार पोहचते है। तानसेन कहते है जहाँपना हमे यही इंतज़ार करना होगा ,मेरे पिता किसी और के लिए नहीं गाते है उनका जब मन होता है वो गाते है। सभी वही पर बैठ कर तानसेन के पिता का इंतज़ार करने लगते है। तभी तानसेन के पिता बहार  आते है। और राग गाने लगते है। उनका राग सुनकर सभी मंत्र मुग्ध हो जाते है. 

अकबर तानसेन के पिता से बहुत प्रसन होते है वह उन्हें महल में ले जाने की जिद करते है परन्तु तानसेन के पिता कहते है में अपनी छोटी सी कुटिया में बहुत खुस हु हज़ूर ,में ईस्वर के लिया गाता हु आप बुरा मत मानयेगा। अकबर उनकी बात से सहमत हो जाते है और वह से चले जाते है।  तानसेन भी अपने पिता से आज्ञा ले कर चले जाते है। 

अकबर तानसेन जी पूछते है आपके पिता इतना अच्छा कैसे गा लेते है। बीरबल इसका उतर देते है हज़ूर तानसेन के पिता इस्वर भगती में लीन रहते है इसलिए इतने अच्छे से गाते है।  अकबर कहते है उस कुआं की अंघूटी का क्या हुआ बीरबल ,बीरबल उतर देतें है हज़ूर आज दोपहर तक अंघूटी मिल जायगी। 

निकला बीरबल  अकबर को ले कर उस कुआं में जाते है अंघूटी कुआँ के ऊपर एक मिटटी के दहले में तैर रही थी। बीरबल उसमे से अंघूटी निकलते है और अकबर को दे देते है अकबर पूछते है यह कैसे किया तुमने। बीरबल बताते है हज़ूर मने एक गिल्ली मीठी का दहला इस अंघूटी पर डाल दिया कुछ दिनों बाद यह दहला सुख गया और बारिश की वजह से ऊपर आ गया।  तब अकबर कहते है वह बीरबल यह कुए तो जादुई कुआँ निकला। 

दोस्तों आपको जादुई कुआँ की कहानी कैसी लगी।  अगर आपको मेरी यह कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट कर के बातये। दोस्तों जादुई कुए एक नैतिक शिक्षा की कहानी है जो अकबर बीरबल के सम्बन्ध को दर्शाती है। 
दोस्तों  अगर आपको Bollywood में दिलचस्पी है तो मेरे बॉलीवुड के पेज पर जाये और हेल्थ के लिए health tips के पेज पर 

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गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

Akbar birbal ki kahaniya - teli aur kasai ka kissa

Teli aur kasai ki kahani

तेली और कसाई कौन सच्चा ,कौन झूठा -

एक बार एक तेली और कसाई राजा बीरबल के घर पर पूछते है। वहाँ पर बीरबल का सेवक उनसे पूछता है आप लोग कौन है और यहाँ पर क्या कर रहे है।

 तभी तैली बोलता है मेरा नाम गंगू है और में यहाँ पर राजा बीरबल से इंसाफ मांगने आया हूँ। सेवक कहता है आप राजदरबार में आये वहां पर राजा बीरबल जी आपको मिलेंगे। परन्तु तैली अभी इंसाफ की जिद करने लगता है।

सेवक राजा बीरबल के पास जाते है और उन्हें सारा किस्सा सुनते है। बीरबल कहते है उन्हें अंदर ले आओ। सेवक दोनों को अंदर ले आता है। बीरबल उनसे पूरी कहानी सुनने को कहते है। तभी उसी समय दरवाजे पर शहंशाह अकबर आ जाते है। 

अकबर बीरबल से पूछते है यह दोनों कौन है। बीरबल जवाब में उत्तर देता है हज़ूर में इनसे यही जानने की कोशिश कर रहा था यह लोग कौन   है. 

बीरबल फिर पूछते है बताओ आप लोग अपनी कहानी। फिर तैली कहता है ,हज़ूर मेरा नाम गंगू तेली है में तेल का व्यापार करता हूँ। आज मेरा व्यापार अच्छा हुआ में अपने घर के लिए जा रहा था तभी रास्ते में इस बामन कसाई ने मुझे बुलाया  और तेल माँगने लगा। 

मैने इसको तेल दिया और मैंने जब इससे पैसे मांगे तो इसने मुझे एक चांदी का सिक्का पकड़ा दिया। और बदले में खुले रुपया माँगे। मेरा पास अधिक मात्रा में धन था तो इसकी नियत डीग गयी इसने मुझे आराम करने का प्रलोभन दिया। में अपने पैसे रख कर अंदर चला गया वापिस आया तो मेरे पैसे को यह अपने पैसे बताने लग गया। इस लिए हम यह आये है।

बीरबल अब कसाई से पूरी कहानी सुनाने को कहते है कसाई कहता है जनाब यह तेली सुबह मेरा पास आया था कह रहा जनाब मेरी सुबह से बोनी नहीं हुई है आप एक नाप तेल ले ले। मैंने इसपर दया करके १ नाप तेल ले लिया। फिर यह कहने क्या में हाथ मुँह धो सकता हु। 

मने इसको मना नहीं किया जब में अंदर से वापिस आ रहा था तो यह मेरी पैसे की पोटली चुरा रहा था।

अकबर, बीरबल से कहते है बीरबल इस समस्या का तुम हल कैसे निकालोगे। नहीं कोई गवाह है ना ही कोई सबूत। बीरबल उतर देते है जनाब एक गवाह है। अकबर पूछते है कौन ,बीरबल कहते है वो पैसो का थैला। अकबर कहते है यह कैसे संभव है। बीरबल कहते है हज़ूर होगा आप बस देखते जाये।

बीरबल  अपने सेवक से कहते है एक कटोरी में पानी भर कर लाओ। बीरबल उस पानी सी भरी कटोरी में सारे सिक्के डाल देते है। सिक्को पर तेल लगा होने की वजह से पानी के ऊपर एक तेल की परत आ जाती है.बीरबल कहते है यह पोटली तेली की है। अकबर बीरबल को शाबाशी देता है और कहानी यही समापत हो जाती है।

दोस्तों आपको कसाई और तेली की कहानी कैसी लगी। यह अकबर बीरबल सीरीज़ की सबसे सस्पेंस वाली कहानी है। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट कर के बातये। दोस्तों अगर आपको bollywood story के और health tips के बारे में पढ़ना है तो होम पेज पर जा कर पढ़ सकते है. 

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मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

Akbar Birbal Ki kahaniya/ Jungle Safari

akbar birbal ki kahaniya

अकबर बीरबल की कहानियां 

एक बार कुछ लोग जंगल काट रहे थे उन्हें  एक कबूतर और उसका बच्चा देख रहा था। कबूतर का बच्चा अपनी माँ से कहता है। माँ यह लोग कौन है और जंगल क्यों काट रहे है. माँ उत्तर देती है ,बेटा यह बादशाह के सिपाही है उनके लिए जंगल में रास्ता बना रहे है.

 फिर कबूतर का बच्चा पूछता है। क्या शहंशाह जंगल में जानवरो से मिलने आ रहे है। माँ उतर देती है नहीं,मिलने के लिए नहीं बल्कि उन्हें मरने के लिए।

बच्चा कहता है ,मारने के लिए क्यों। माँ उतर देती है ऐसे ही मस्ती के लिए. बच्चा कहता है यह कैसी मस्ती है यह लोग जानवर जैसा सलूक क्यों करते है. माँ कहती है वो खतरनाक है उन्होंने बहुत सारे जंगल काटे है। मासूम जानवरो को मारा है।

और आज वो फिर आ गए है। बच्चा कहता है माँ हमे सभी को जा के सावधान कर देना चाहिए. फिर दोनों सभी जंगल के प्राणिओ को शहंशाह के आने की खबर देने जाते है।

फिर कबूतर चिलाती है सावधान। शिकारी आ रहे है भाग जाओ सभी अपनी जान बचाओ। कबतूर की चेतावनी सुनकर एक खरगोश दूसरे खरगोश से कहता है। वो हमे को मारने आते है हमने उन्हें कभी नुकसान नहीं पोहचाया।

दूसरा खरगोश कहते है तुम सही कह रहे हो परन्तु अभी सभी अपनी जान बचाओ. अकबर अपने सिपाहीओं के साथ जंगल के अंदर चले आ रहा था।

अकबर बोलता है। आश्चर्य की बात है हमे अभी तक कोई जानवर नहीं दिखयी दिया। एक मंत्री कहता है लगता है सभी जंगल के अंदर चले गए है मालिक। 

अकबर कहते है क्या मतलब है तुम्हारा। बीरबल बोलते है शहंशाह हमारे सिपाहीओं ने बहुत सारे पेड़ काट दिए है ताकि आप आसानी से शिकार कर पाए इसलिए यहां से सभी जानवर  चले गए है क्योकि जानवरो को घना जंगल पसंद है हज़ूर।

 अकबर कहते है हम उन्हें ढूढ़ ही डालेंगे चाहे हमे जंगल में कहि भी जाना पड़े। फिर अकबर अपनी सेना के साथ जंगल के अंदर जाने लगते है। इतने में अकबर और उसकी सेना को बाघ की आवाज सुनाई देती है। सभी उस तरफ जाने लगते है।

 वह दूसरी तरफ कबूतर और उसका बच्चा भी बाघ के पास पहुंच जाता है। कबूतर उन्हें शिकारी के बारे में बताता है। बाघ वहां से भाग जाते है।

 अकबर बोलते है हमने कोई आवाज भी नहीं की फिर भी बाघ को भाग गए। मंत्री बोलता है हज़ूर शायद कोई उन्हें सतर्क कर रहा है। अकबर बोलते है कौन उन्हें सतर्क कर रहा है। मंत्री कहते है कबूतर , मैने दो कबूतर देखे थे। 

फिर मंत्री अकबर से कहते है आप परेशान ना होए मेरा हज़ूर में उन्हें कैद कर लूंगा। फिर अकबर और उनके सैनिक वापिस जाने लगते है।

 उन्हें वापिस जाते देख कबूतर निश्चिंत हो जाते है इतने में एक मंत्री उन्हें कैद कर लेता है। वह उन दोनों को अकबर के पास ला जाता है और कहता है इन् दोनों की वजह से आप शिकार से वंचित रहा गए। दोनों कबूतर जोर जोर से आवाज करने लगते है। 

 अकबर पूछते है यह दोनों इतने जोर से क्यों चिल्ला रहे है। बीरबल कहते है यह हमारी जान के लिए गिड़गिड़ा रहे है यह कह रहे है शहंशाह के राज्य  का अंत होने वाला है।

 बीरबल कहते है इनकी आवाज ध्यान से सुने यह कह रहे है अगर आप इसी तरह जंगल काटते रहेंगे तो बहुत जल्द वातावरण का विनाश हो जायगा और सभी मनुष्ये मारे जायँगे।

अगर पेड़ इसी रफ़्तार से काटे गए तो जानवर के पास रहने को जगह नहीं बचेगी और वह शहर की तरफ आयंगे। हज़ूर अब आपकी मर्ज़ी है या मोज़ के लिए शिकार करे या राज्य की सुरक्षा देखे

 अकबर बीरबल से कहते है तुम चालक ही नहीं बल्कि गहरी सोच रखने वाले हो।  आज से हम कभी भी शिकार नहीं खेलेंगे और अपने जंगल को भी हरा भरा करंगे। ऐसा कह के वो दोनों कबूतर को छोड़ देता है।

दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी। ऐसी और कहानी के लिए इसी पेज पर आते रहे। अगर आपको योग सीखना है तो natural health tips और बॉलीवुड की कहानिओ के लिए बॉलीवुड स्टोरी पर विजिट करे।

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शनिवार, 12 दिसंबर 2020

Hindi kahaniya- Rasoiye aur waiter ki kahani

Hindi kahaniya - रसोये और वेटर की कहानी


रसोये और वेटर की कहानी-

रसोये और वेटर की कहानी एक नैतिक शिक्षा की कहानी है।  जिसका मुख्य उदेशय सभी व्यक्ति बराबर है यह है. इस कहानी के मुख्य करिदार है मोटू और पतलू।

कहानी शुरू होती है गुरुग्राम के एक छोटे से गांव से। मोटू एक रसोया है व पतलू एक वेटर है. दोनों गुरुग्राम के एक प्रसिद्ध ढाबा राव ढाबा में काम करते है. पतलू एक बहुत ही अच्छा वेटर है और वो ढाबे में आने वाले सभी ग्राहक में बहुत प्रसिद्ध है. उसकी प्रसिद्धि की वजह से ढाबे का मालिक उसको बहुत पसंद करता था  और उसको सबकी तुलना में बहुत अच्छे से ट्रीट करता था .

उसी होटल में मोटू भी काम करता था  मालिक और ग्राहक बस पतलू की ही तारीफ करते थे इस बात से वह बहुत दुखी होता था. एक दिन मोटू नई चस्मा पहन के आया।

पतलू उसके पास आके बोलता है। में बहुत प्रसिद्ध हु सभी मुझे देखने आते है लड़किया मुझे लाइन देती है। यह चस्मा तू मुझे दे। मोटू कहता है यह मै अपने लिए लाया हु। परन्तु पतलू के सामने मोटू की एक नहीं चलती है वह उसको चस्मा दे देता है.

अगले दिन पतलू वही चस्मा लगा के ग्राहकों के सामने कहना परसोता है लोग उसकी बहुत प्रशंसा करते है. कुछ समय बाद ढाबे का मालिक पतलू को बुला को कहता है. पतलू में तुम्हारे काम से बहुत खुश हूँ तुम्हारी तन्खा 2000 rs बढ़ता हूँ। यह सुनकर मोटू कहता है मालिक में भी इसी ढाबे में 20 साल से काम कर रहा हूँ अपने मेरी तन्खा कभी इतनी नहीं बढ़ई। मोटू बहुत दुखी होता है।

अब कहानी में एक मोड़ आता है मोटू उसी रात अपने कुछ दोस्तों को बुलाता है और पतलू को सबक सिखने का प्लेन बनता है. अगले दिन मोटू एक बहुत ही महंगी घडी पहन कर आता है पतलू उसके पास खाना लेना आता है. मोटू बोलता है पतलू भाई इस घडी को मत लेना मेने ये दुबई से ५००० rs में मंगवाई है.

 पतलू कहता है हम दोनों में कौन प्रसिद्ध है में हु ना और बहुत सारि लड़कियाँ मुझे देखने आती है तुम पर यह घडी जम भी नहीं रही एक काम करो यह घडी मुझे दो पैसे में तुम्हे बाद में दे दूंगा।

पतलू मोटू को घडी दे देता है. कुछ समय बाद ढाबे का मालिक आता है मोटू कहता है मालिक आप पतलू को ही पसंद करते है। में अगर कोई छोटी सी भी गलती करूंगा तो आप मुझे निकलने में नहीं झिंगको गे पर पतलू कुछ भी करेगा आप उसे कुछ नहीं कहोगे।

पतलू जल्दी से बोलता है 20 साल का तजुर्बा है कोई गलती नहीं कर  सकता मै। मोटू कहता है अगर खाना बनाने में मुझ से कोई गलती हुई तो में अभी नौकरी छोड़ दूंगा पर अगर तुमसे कोई प्लेट गिरी तो तुमको भी नौकरी छोड़नी होगी बोलो मंजूर है. पतलू हां भर देता है

अब कहानी  में आगे ,अगले दिन कुछ ग्राहक आते है पतलू उनको खाना देने जाता है उनमे से एक ग्राहक कहता है भाई समय क्या हुआ है पतलू जल्दी से बोलता है भाई तुम्हारी किस्मत अच्छी है तुम्हे में समय एक महंगी घडी से बतऊँगा इतने कहते ही जैसे ही पतलू अपना हाथ घूमता है सारी प्लेट धरती पे गिर जाती है.

ढाबे का मालिक और पतलू दोनों घबरा जाते यही। मोटू कहता है मालिक में पतलू को निकलने के लिए नहीं कहुगा यह सब करने का मेरा मकसद यही था की आप सभी को एक नज़र से देखे। पतलू मोटू से माफ़ी मांगता है और ढाबे का मालिक भी सभी को अब एक सामान व्यव्हार देता है।

दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी आशा करता हु आपको यह कहानी बहुत पसंद आयी होगी। दोस्तों और रोचक कहानी जैसे  चुड़ैल की कहानी, शैतानी गुड़िया की कहानी , पांचू के किस्से और वो काली रात पढ़ने के लिया आप मुख्य पेज पर जा कर  सकते है.

नमस्ते

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गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

Akbar Birbal ki Kahani in Hindi

akbar birbal ki kahani in hindi

अकबर बीरबल की कहानी -जादुई छड़ी 

दोस्तों आज में आपको अकबर बीरबल का एक दिलचस्प किस्सा सुनने वाला हूँ। इस किस्से का नाम है जादुई छड़ी। दोस्तों यह किस्सा अकबर बीरबल के किस्से में सबसे ज़्यदा प्रसिद्ध व रोचक माना जाता है।

कहानी शुरू होती है  एक साहूकार से उसका नाम था हीरा मल। हीरा मल एक ईमानदार और धनवान व्यक्ति है। एक रात वो अपना सारा धन एक बक्शे में रख कर उसकी चाबी अपनी तकिये के नीचे रख सो गया।

उसी रात एक परछाई आती है और उसका सारा धन चुरा कर ले जाती है। सुबह जब साहूकार उठता है तो उसको संदूक की टूटी हुई चाबी दिखयी देती है वह तुरंत संदूक की जाँच करता है और पता चलता  है उसका सारा धन चोरी हो गया है।  

वह तुरंत अपने द्वारपाल को बुलता है और पूछता है रात में कोई अनजान व्यक्ति आया था। द्वारपाल जवाब देता है

कोई नहीं आया था हज़ूर

व्यापारी कहता है में लूट गया अब में क्या करूंगा।

द्वारपाल कहता है हज़ूर आप अकबर के दरबार में जा कर इसका इंसाफ मांगे कुछ न कुछ हो जयगा.

अगले दिन व्यापारी अकबर के दरबार में जा कर सारी कहानी सुनता है।

अकबर बीरबल से कहता है बीरबल इस केस का हल तुम निकलो।

बीरबल जवाब देता है हज़ूर आधे घंटे के बाद व्यापारी के सभी नौकरो को यहां पर बुल्ये।

आधे घंटे बाद सभी नौकर राजदबार में एकत्रित हो जाते है।

बीरबल कहते है में तुम सभी को 1 ,1 जादुई छड़ी दूंगा। जो भी गुनहगार होगा उसकी छड़ी २ इंच तक बढ़ जायगी।

अकबर कहते है बीरबल क्या सच्ची में यह छड़ी जादुई है।

बीरबल उत्तर देता है हां ज़नाब यह जादुई छड़ी है मै इनका उपयोग विसेस अवसरों पर करता हु।

अगली सुबह सभी नौकर राजसभा में एकत्रित हो जाते है। बीरबल सभी से छड़ी लेना सुरु करते है। सभी से छड़ी लेने  के बाद बीरबल कहते है।

हज़ूर यह दवारपाल है चोर।

बीरबल फिर समझते है हज़ूर यह कोई जादुई छड़ी नहीं है मैंने यह इन्हे इसलिए दी थी मुझे पता था जो भी गुनहगार होगा वो छड़ी को छोटा कर देगा।

द्वारपाल अपनी गलती मान लेता है कहता है हज़ूर मुझे लगा कहि छड़ी बड़ी न हो जाये इसलिए मैंने इसको १ इंच कम कर दिया।

फिर द्वारपाल कहता है हज़ूर मुझे रुपैये की बहुत जयदा जरूरत थी इसलिए मैंने चोरी की ,मैंने एक भी रुपए खर्च नहीं किये में इन्हे वापिस लोटा दूंगा।

व्यापारी अकबर का सुक्रिया अदा करता है ,

अकबर कहते है मेरा नहीं बीरबल का शुक्रिया अदा करे। उन्होने इस केस को हल किया है।

फिर पूरा दरबार में बीरबल की जये जये कार होती है।

दोस्तों आपको अकबर बीरबल की यह कहानी कैसी लगी। दोस्तों इस कहानी से हमे बहुत कुछ सिखने को मिलता है।  बीरबल कितने चतुर थे व बिना साबुत होते हुआ भी उन्होंने कैसे चोर को पकड़ लिया। दोस्तों इसके अल्वा अगर आप चुड़ैल की कहानीशैतानी गुड़िया की कहानी पढ़ना चाहते है तो मैन पेज पर जा कर पढ़ सकते है

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मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

Akbar Birbal ki Kahani

akbar birbal ki kahani

अकबर बीरबल की कहानी - ईमानदार व्यापारी 

आपका अभिवादन मेरा राजा।

हाँ आप कौन हैं और क्या समस्या है।

महामहिम मेरा नाम गोपाल चंद है मैं बाज़ार में मक्खन बनाता हूँ और बेचता हूँ। लगभग एक महीने पहले मैंने चंदू को कुछ पैसे उधार दिए थे और अब न केवल उसने उसे वापस देने से इंकार कर दिया है  बल्कि यह और कह रहा है मेने कभी पैसे उधर ही नहीं लिए.

 अकबर बीरबल को बुला के कहता है बीरबल इस मामले को देखो।

बीरबल गोपाल चंद से कहता है

गोपाल  चाँद तुम मुझे पूरी कहानी बताओ।

गोपाल चाँद कहता है। महामहिम करीब एक महीने पहले चंदू  मल मेरा घर आया था उसने कहा गोपाल चंद मुझे एक नया व्यवसाय करना है उसके लिए मुझे कुछ पैसे उधर चाहिए। गोपाल चंद कहता है तुम मेरा मित्र हो म तुम्हे १०० सोने की मुद्रा उधार देता हु एक महीने बाद मुझे लोटा देना।

गोपाल चंद बताता है एक महीने बाद जब में चंदू मल के पास पैसे वापिस लेने गया तो चंदू मल ने उसे पैसे ही नहीं बल्कि उसने उसको कभी पैसे भी दिए थे ऐसा मानने से इंकार कर दिया।

बीरबल अब चंदू मल से कहता है तुम मुझे पूरी कहानी बताओ

चंदू मल कहता है राजा जी करीब १ महीने पहले गोपाल चंद मेरी दुकान पे आया था वह पर आकर मेरा हाल चाल पूछा और चला गया।

कल अचानक मेरी दुकान पे आके कहता है मैंने तुम्हे १ महीने पहले जो सोने की मुद्रा दी थी मुझे वापिस लोटा दो.

अकबर बीरबल से कहते है बीरबल इस समस्या को तुम सुलझाओ.

बीरबल अपने कक्ष में बेथ कर इस समस्या के बारे में सोच रहे होते है अचानक उनको एक तरकीब सूझती है। वो अपने सेवक को बुलाते है और कहते है। तुम एक काम करो बाजार में जाओ दोनों व्यापारी गोपाल और चंदू की सारी जानकारी निकल के लाओ।

कुछ समय बाद सेवक वापिस आता है और बताता है

बीरबल जी गोपाल चंद बहुत ही ईमानदार किस्म के आदमी है परन्तु वो चंदू मल बहुत ही धृत किस्म का आदमी बतया गया है.

बीरबल अब इस बात को परखने के लिए एक तरकीब बनते है वह २ हांड़ी लेता है और दोनों हांड़ी में एक एक सोना का सिक्का दाल देता है और अपने सेवक से कहते है जो तुम्हे सिक्का वापिस लोटय उसका नाम मुझे बतना।

अगले दिन दरबार में अकबर बीरबल से पूछते है बीरबल इन् दोनों मेसे कौन है अपराधी।

बीरबल बोलते है चंदू मल

अकबर कहते है कैसे

बीरबल जवाब देता है कल मने अपने सेवक से कहा था जो तुम्हे सिक्का वापिस लौटए उसका नाम बतना। राजा जी गोपाल चंद ने वापिस लोट्या इसका मतलब वह बहुत ईमानदार है और चंदू मॉल बईमान।

चंदू मॉल अकबर से कहता है महाराज मुझ से गलती हो गयी मुझे माफ कर दो.

अकबर कहते है एक तुम बेईमानी करते हो ऊपर से माफ़ी मंगते हो. म तुम्हे एक सर्त पर माफ करूंगा तुम्हे १०० की बजये २०० सोने की मोहर गोपाल चंद को देनी होगी

और आगे से कभी बेईमानी नहीं करोगे।

चंदू मल  बात मन लेता है और कहानी यही सम्पात हो जाती है.

दोस्तों आपको यह अकबर बीरबल की कहानी कैसी लगी। और कहानी जैसे  सतानी गुड़िया की कहानी, चुड़ैल की कहानी और रसोया और वेटर की कहानी पढ़ने के लिए  ब्लॉग के मुख्य पेज पर विजिट करे.

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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

हिंदी कहानियाँ - चुड़ैल की कहानी

chudel ki kahani


Chudel ki kahani -


दोस्तों , आज में आपको चुड़ैल की कहानी सुनाने वाला हु  चुड़ैल शब्द हमारे भारत देश में बहुत लोकप्रिय है चुड़ैल एक ऐसी प्रकार की प्रेत होती है जिसके पैर उलटे होते है और उसकी लम्बी सी चोटी होती है.उसके नाख़ून भी बहुत लम्बे और गंदे से होते है।

कहानी शुरू होती है एक छोटे से  गांव भीलवाड़ा में भीलवाड़ा में एक लड़का रहता था सुशांत वो एक मोटर गाड़ी बनता था वो मोटर गाड़ी बनाने में बहुत एक्सपर्ट था सुशांत की आयु थी ३० वर्ष   उसके पिता इस बात से चिंतित थे सुशांत की विवाह नहीं हो रहा था ।

कहानी अब मोड़ लेती है एक रात की तरह ,एक रात गांव का लड़का मोहन गांव के बहार किसी काम से जा रहा था उसे अचानक ऐसा लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है परन्तु मोहन बिना कुछ सोचे चला जा रहा थाअचानक पीछे से एक लड़की की आवाज आती है मोहन मेरा पास आओ मुझे तुम बहुत पसंद हो आओ मोहन मेरा पास आओ मोहन एक बार असमंजश में आया पर बाद में लड़की की आवाज सुनकर उसके अंदर का हवश का भूत जग गया उसने जैसे ही पीछे मुड़ के देखा एक अधेड़  उम्र की औरत जिसका चेहरा  बालो से छिपा  हुआ है और गन्दी गलीच सी हुई     पड़ी है जब वह चल रही थी तो हडियो के टूटने की आवाज आ रही थी मोहन घबरा गया और वहां से बाघने लगा जैसे ही तेज भागने  लगा वो चुड़ैल भी पूरी गति से उसकी तरफ आयी और उसे गायब कर दिया।

अगले दिन मोहन के घर वाले उसे पूरी शक्ति से ढूढ़ने लगे पर उसका कोई पता नहीं चला। सुशांत मोहन का पक्का मित्र था उसने भी पूरी कोशिश की पर मोहन का कुछ पता नहीं चला। ऐसे करते करते 1 महीने निकल गए और गांव से लगभग २० लोग गायब  हो गए।

एक दिन गांव में लड़की आती है शर्मा वो पास के गांव से आयी होती है वो आते ही सुशांत को ढूढ़ती है। सुशांत से मिलने के बाद वो उससे मोहन के  ग़ायब होने की कहानी सुनाने  को कहती है।सुशांत उससे पूरी कहानी सुना देता है तब शर्मा कहती है ये काम  चुड़ैल का है वो अपने गांव  की कहानी सुनते हुए बताती हैआज से २०० साल पहले हमारे गांव में एक औरत रहती थी पूजा  उससे शादी करने का बहुत बड़ा शोक था उसने बचपन से ही शादी के बहुत बड़े बड़े सपने बना रखे थे  परन्तु  दिन गांव के बहुत बड़े साहूकार ने उसकी इज़्ज़त लूट ली उसके बाद पुरे गांव ने उसका  बहिस्कार कर  दिया । पूजा इस दर्द को लेकर गांव के बहार जाती है परन्तु वहा भी लोग उससे   जीने नहीं दे रहे थे।

एक दिन उसकी जिंदगी में एक लड़का आता है वो उससे बहुत प्यार करता है और उससे हर  तरीके से  अपना लेता है। दोनों खुसि खुसी २ साल साथ रहते है एक दिन अचानक लड़के को पता चलता है ।पूजा का बलात्कार जिस साहूकार ने किया था पूजा उसी के साथ चुप कर प्रेम प्रसंग  रचा रखा  है। लड़का पूजा को मार देता है और उसके शरीर को काली विद्या करने वाली औरत को दे देता है। वह औरत पूजा को चुड़ैल बना कर गांव में छोड़ देती है ।उस चुड़ैल ने करीब 150  साल तक हमारे गांव में आतंक मच्या। फिर एक सिद्ध बाबा ने उससे कैद कर लिया।

शर्मा कहती है अगर उस चुड़ैल को नहीं पकड़ा तो वो अपनी बदले की आग मिटने के लिया कई  1000 लोगो को मार देगी चुड़ैल को पकड़ने का बस एक ही तरीका है उससे वही लड़का वापिस चाहिए जिसने उससे मारा था.

सुशांत कहता है हमे क्या पता वो लड़का कहा  पर है और वो चुड़ैल भी कहा पर है. शर्मा कहती है मुझे मेरा गांव के बाबा ने बताया था गांव के बहार जो हवेली है वहां पर हर रात को १२ बजे के बाद वो चुड़ैल आती है. सुशांत और कुछ गांव वाले उस हवेली की पड़ताल करने जाते हैवहां पर उन्हें   20 कंकाल मिलते है सब समझ जाते है ये उन्ही  गांव वालो के कंकाल है।

सभी गांव वाले उस चुड़ैल को बघने के लिए शर्मा के साथ मिल कर योजना बनते है योजने ये थी   सुशांत को दूल्हा बना कर उस चुड़ैल को बुलएंगे और बाद में उसकी चोटी काट कर उससे मार देंगे। हिन्दू सभय्ता के अनुसार चुड़ैल की जान उसकी चोटी में होती है।

रात को सब योजना के अनुसार ही होता है ठीक 12 बजे चुड़ैल आती है उसकी चाल और हाव भाव देख कर आधे गांव वाले बाघ जाते है चुड़ैल जैसे ही सुशांत को देखती है उसकी तरफ बघती है 

सुशांत बहुत बुरी तरह डर जाता है चुड़ैल जब सुशांत के बिकुल करीब आती है तो वो हवा में करीब १ फ़ीट ऊपर और उसकी छोटी ऐसे लहरा रही थी जैसे कुत्ते की पूछ उसकी आंखे लाल और   उसने सुशांत को बिकुल काबू में कर लिया  कुछ गांव वाले हिमत कर के सुशांत को बचाने आते है उससे पहले ही चुड़ैल ने सुशांत की गर्दन शरीर  से अलग कर  दी और वहा से चली जाती है. उसके अगले ही दिन शर्मा भी बिना  बातये गायब हो जाती है। 

गांव वाले शर्मा के गांव में पूछताछ करने जाते है तो उन्हें वहा कोई भी शर्मा नहीं मिलती है. वापिसआते समय एक गांव वाले की नज़र एक घर में पड़ी फोटो पर जाती है वो कहता है य रही शर्माऔरआप लोग मना कर रहे थे तभी उस गांव में से एक आदमी कहता है ये उस चुड़ैल की फोटो है जो  50 साल पहले इस गांव में लोगो को मार  देती थी और इसका नाम है पूजा शर्मा गांव वालो को समझ में आ गया सुशांत वही लड़का था जिसको मार कर  उस चुड़ैल ने अपना बदला पूरा कर लिया।लिया।

समापत

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बुधवार, 2 दिसंबर 2020

Hindi Kahaniya - कहानी शैतानी गुड़िया की

कहानी  शैतानी गुड़िया की

कहानी का परिचय -

दोस्तों आज  में एक डरावनी कहानी सुनाने वाला हु , कहानी एक सच्ची घटना से मिलती है। इस कहानी में एक गुड़िया किस प्रकार एक घर में आतंक फैलती है इसी बात पर पूरी कहानी आधारित है। यह कहानी छोटे छोटे खंड में विभाजित है।

कहानी की शुरुवात -

श्री। और श्रीमती । कोरोना  को उस रात कुछ दोस्तों के साथ रात के खाने के लिए बाहर जाना था इसलिए अपने दो लड़कों की देखभाल करने के लिए उन्होंने एक दाई की व्यवस्था की। दाई गुरुग्राम आने वाली थी, लेकिन १० बजे तक वह अभी तक नहीं आया थी। अचानक दरवाजे की घंटी बजती है समारा आने के लिए धन्यवाद। हम देर से घर आएंगे शायद सुबह के लगभग 1:00 बजे बच्चों को खाना खिला देना और 9:30 बजे तक बिस्तर पर सुला देना।

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Original Content

  मैंने बच्चों के लिए कुछ स्नैक्स तैयार किए हैं और उन्हें फ्रिज में रख दिया है यदि वे आपको एक ज्यादा समय तक तंग कर हैं तो उन्हें एक कहानी या कुछ और पढ़ कर सुनाये। यदि कोई समस्या है, तो सभी स्टोरीबुक उनके कमरे में हैं, कृपया हमें कॉल करें हमारे पास आपका नंबर है। अलविदा बच्चे, आप से बाद में मिलते है और अच्छा से रहना ठीक है अलविदा, अपने खाने का आनंद लें। समारा ने बच्चों को खाना खिलाया और उन्हें 9:30 बजे 10:30 बजे बिस्तर पर सुला  दिया। बच्चों को बिस्तर पर रखने के बाद बच्चे सो रहे थे।

वह टीवी देखने के लिए निचे वाले कमरे में आई और टीवी देख रही समारा को उसके पीछे एक उपस्थिति महसूस हुई। जाँच करने के लिए  वह भर आयी और सड़क के दूसरी ओर एक मसखरी  गुड़िया पाया गयी। वह उस गुड़िया को कमरे में ला आयी कि कमरे में उसने महसूस किया जैसे कि जोकर गुड़िया उसे वापस घूर रही थी

लेकिन फिर उसने खुद को याद दिलाया कि बस यह एक गुड़िया थी। देर रात होआ चुकी है और मैं यहाँ कमरे में अकेली बैठी हूँ शायद इसीलिए मैं इन सारी खौफनाक भावनाओं को महसूस कर रही हूँ। इन विचारों को खारिज करने के बाद वह टीवी देखती रही और अपने आप को शांत करने के लिए थोड़ी देर के बाद उसने खुद को चोट पहुँचाई जिससे उसे बहुत डर लगा और उसने उसे मौन कर दिया। टीवी के वहाँ मृत सन्नाटा था पूरे घर में शांति  थी , बच्चों के कमरे से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी, फिर उसने टीवी का आयतन फिर से सोच लिया, यह सब उसके दिमाग में था।

जब वह टीवी देख रही थी उसने फिर महसूस किया था के उसकी खोपड़ी के पीछे गुड़िया लगातार उसे देख रही है, उसकी कमर झुक गई और उसकी रीढ़ की हड्डी खिसक रही थी और आखिरकार वह इन सभी भावनाओं से ग्रस्त हो गई और उसने गुड़िया को दूसरे कमरे में ले जाने का फैसला किया और गुड़िया को दूसरे कमरे में ले जाने के बाद वापस आ गई। बैठे हुए कमरे में और अब टीवी देखना जारी रखा, समारा बहुत ही आराम और आरामदायक महसूस कर रही थी

 उन सभी खौफनाक भावनाओं को जो वह गुड़िया की वजह से अनुभव कर रही थी, सभी एक पल के बाद चले गए थे जब घर का  फोन बजता है । कोरोना। हाय समारा, कैसे सब कुछ कैसा है । अपने बच्चों को समय पर बिस्तर पर सुला दिया है । सामरा , सब कुछ ठीक है बच्चे बहुत बढ़िया है  उन्होंने मुझे कोई परेशानी नहीं दी, उन्होंने समय पर  भोजन किया और समय पर सोए थे। वाह यह बढ़िया है कि हम पार्टी छोड़ देंगे।  12:30 के आसपास हमें बताएं कि अगर आपको कुछ चाहिए तो मैं आपसे बात करूंगा आप बाद में एक मिनट।

कोरोना मैं आपको कुछ मजेदार बताना चाहता था, लेकिन आपकी मसखरी गुड़िया जो उस कमरे में थी, जिसे मैंने दूसरे कमरे में स्थानांतरित कर दिया है, उस गुड़िया से मुझे  टीवी देखने में थोड़ा असहज महसूस कर रहा थी , क्योंकि मुझे लगा कि मैं कमरे में मेरा आलावा भी कोई और है।  आपको मैंने बता दिया है कि क्या यह ठीक है। समारा कौन सी जोकर गुड़िया है, हमारी बैठक की जगह में कोई जोकर गुड़िया नहीं है।

सामरा अस्चर्य से बोलती है क्या..

यही पर इस कहानी का समापन हो जाता है।

दोस्तों इस कहानी में बताया गया है की कभी कभी छोटी घटनए किसी भूतिया घटनाओ की और इशारा भी करती है। हमे सभी प्रकार के इशारो को समझना व पकड़ना चाहिए। यह कहानी एक सच्ची घटना पे आधारित है जो अमेरिका के एक छोटे गांव में घटी हुई है।  इस कहानी के सभी पात्र मेने काल्पनिक लिए है। आशा करता हु आपको यह कहानी पसंद आयी होगी।

दोस्तों अगर आपको ऐसी कहानिया पढ़नी है तो आप मेरी यह कहानिया "वो काली रात","पांचू के किस्से  "और" पांचू और पुरानी हवेली "पढ़ सकते है।

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