jadui kua ki kahani

जादुई कुआं की कहानी -

जादुई कुए की कहानी शुरू होती है शहंशाह अकबर के दरबार से , एक दिन शहंशाह अकबर अपने दरबार में बैठ कर महान गायक तानसेन जी के राग सुन रहे थे। उन्होंने पूरे दरबार में तानसेन जी बहुत प्रशंसा की परन्तु बीरबल जी ने कोई उत्तर नहीं दिया। शहंशाह अकबर कहते है बीरबल क्या आप मेरी बात से सहमत नहीं है। बीरबल जवाब देते है 

हज़ूर में मानता हु तानसेन जी बहुत अच्छे गायक है परन्तु उनसे भी बड़ा फनकार इस संसार में मौजूद है। इतने में अकबर एक पास के कुए में अपनी सोने की अंघूटी डाल देते है और कहते है बीरबल अब आपके पास दो काम है एक तानसेन से बड़ा फनकार ढूढ के लाओ और दूसरा मेरी अंघूटी कुए से बहार निकलो बिना इसमें उतरे. 

अगले दिन अकबर बीरबल से कहते है बीरबल कहाँ है तानसेन से बड़ा फनकार तब बीरबल उत्तर देते है,तानसेन के पिता तानसेन से भी अच्छा गाते है अकबर कहते है बीरबल उन्हें बुलाओ फिर, तानसेन जवाब देते है वो कभी घर से बहार नहीं निकलते इसलिए हमे ही वहाँ उनका संगीत सुनने जाना होगा। अकबर अगले दिन तानसेन के पिता का संगीत सुनने निकल जाते है। 

जब अकबर और उसके सभी मंत्री तानसेन के पिता की कुटिया के बहार पोहचते है। तानसेन कहते है जहाँपना हमे यही इंतज़ार करना होगा ,मेरे पिता किसी और के लिए नहीं गाते है उनका जब मन होता है वो गाते है। सभी वही पर बैठ कर तानसेन के पिता का इंतज़ार करने लगते है। तभी तानसेन के पिता बहार  आते है। और राग गाने लगते है। उनका राग सुनकर सभी मंत्र मुग्ध हो जाते है. 

अकबर तानसेन के पिता से बहुत प्रसन होते है वह उन्हें महल में ले जाने की जिद करते है परन्तु तानसेन के पिता कहते है में अपनी छोटी सी कुटिया में बहुत खुस हु हज़ूर ,में ईस्वर के लिया गाता हु आप बुरा मत मानयेगा। अकबर उनकी बात से सहमत हो जाते है और वह से चले जाते है।  तानसेन भी अपने पिता से आज्ञा ले कर चले जाते है। 

अकबर तानसेन जी पूछते है आपके पिता इतना अच्छा कैसे गा लेते है। बीरबल इसका उतर देते है हज़ूर तानसेन के पिता इस्वर भगती में लीन रहते है इसलिए इतने अच्छे से गाते है।  अकबर कहते है उस कुआं की अंघूटी का क्या हुआ बीरबल ,बीरबल उतर देतें है हज़ूर आज दोपहर तक अंघूटी मिल जायगी। 

निकला बीरबल  अकबर को ले कर उस कुआं में जाते है अंघूटी कुआँ के ऊपर एक मिटटी के दहले में तैर रही थी। बीरबल उसमे से अंघूटी निकलते है और अकबर को दे देते है अकबर पूछते है यह कैसे किया तुमने। बीरबल बताते है हज़ूर मने एक गिल्ली मीठी का दहला इस अंघूटी पर डाल दिया कुछ दिनों बाद यह दहला सुख गया और बारिश की वजह से ऊपर आ गया।  तब अकबर कहते है वह बीरबल यह कुए तो जादुई कुआँ निकला। 

दोस्तों आपको जादुई कुआँ की कहानी कैसी लगी।  अगर आपको मेरी यह कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट कर के बातये। दोस्तों जादुई कुए एक नैतिक शिक्षा की कहानी है जो अकबर बीरबल के सम्बन्ध को दर्शाती है। 
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