Akbar Birbal ki Kahani
अकबर बीरबल की कहानी - ईमानदार व्यापारी
आपका अभिवादन मेरा राजा।
हाँ आप कौन हैं और क्या समस्या है।
महामहिम मेरा नाम गोपाल चंद है मैं बाज़ार में मक्खन बनाता हूँ और बेचता हूँ। लगभग एक महीने पहले मैंने चंदू को कुछ पैसे उधार दिए थे और अब न केवल उसने उसे वापस देने से इंकार कर दिया है बल्कि यह और कह रहा है मेने कभी पैसे उधर ही नहीं लिए.
अकबर बीरबल को बुला के कहता है बीरबल इस मामले को देखो।
बीरबल गोपाल चंद से कहता है
गोपाल चाँद तुम मुझे पूरी कहानी बताओ।
गोपाल चाँद कहता है। महामहिम करीब एक महीने पहले चंदू मल मेरा घर आया था उसने कहा गोपाल चंद मुझे एक नया व्यवसाय करना है उसके लिए मुझे कुछ पैसे उधर चाहिए। गोपाल चंद कहता है तुम मेरा मित्र हो म तुम्हे १०० सोने की मुद्रा उधार देता हु एक महीने बाद मुझे लोटा देना।
गोपाल चंद बताता है एक महीने बाद जब में चंदू मल के पास पैसे वापिस लेने गया तो चंदू मल ने उसे पैसे ही नहीं बल्कि उसने उसको कभी पैसे भी दिए थे ऐसा मानने से इंकार कर दिया।
बीरबल अब चंदू मल से कहता है तुम मुझे पूरी कहानी बताओ
चंदू मल कहता है राजा जी करीब १ महीने पहले गोपाल चंद मेरी दुकान पे आया था वह पर आकर मेरा हाल चाल पूछा और चला गया।
कल अचानक मेरी दुकान पे आके कहता है मैंने तुम्हे १ महीने पहले जो सोने की मुद्रा दी थी मुझे वापिस लोटा दो.
अकबर बीरबल से कहते है बीरबल इस समस्या को तुम सुलझाओ.
बीरबल अपने कक्ष में बेथ कर इस समस्या के बारे में सोच रहे होते है अचानक उनको एक तरकीब सूझती है। वो अपने सेवक को बुलाते है और कहते है। तुम एक काम करो बाजार में जाओ दोनों व्यापारी गोपाल और चंदू की सारी जानकारी निकल के लाओ।
कुछ समय बाद सेवक वापिस आता है और बताता है
बीरबल जी गोपाल चंद बहुत ही ईमानदार किस्म के आदमी है परन्तु वो चंदू मल बहुत ही धृत किस्म का आदमी बतया गया है.
बीरबल अब इस बात को परखने के लिए एक तरकीब बनते है वह २ हांड़ी लेता है और दोनों हांड़ी में एक एक सोना का सिक्का दाल देता है और अपने सेवक से कहते है जो तुम्हे सिक्का वापिस लोटय उसका नाम मुझे बतना।
अगले दिन दरबार में अकबर बीरबल से पूछते है बीरबल इन् दोनों मेसे कौन है अपराधी।
बीरबल बोलते है चंदू मल
अकबर कहते है कैसे
बीरबल जवाब देता है कल मने अपने सेवक से कहा था जो तुम्हे सिक्का वापिस लौटए उसका नाम बतना। राजा जी गोपाल चंद ने वापिस लोट्या इसका मतलब वह बहुत ईमानदार है और चंदू मॉल बईमान।
चंदू मॉल अकबर से कहता है महाराज मुझ से गलती हो गयी मुझे माफ कर दो.
अकबर कहते है एक तुम बेईमानी करते हो ऊपर से माफ़ी मंगते हो. म तुम्हे एक सर्त पर माफ करूंगा तुम्हे १०० की बजये २०० सोने की मोहर गोपाल चंद को देनी होगी
और आगे से कभी बेईमानी नहीं करोगे।
चंदू मल बात मन लेता है और कहानी यही सम्पात हो जाती है.
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1 टिप्पणियाँ
Good story
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