maut se wapisi

मौत से वापिसी -

कहानी शुरू होती है अकबर और महारानी की नोकझोक से ,महारानी अकबर से कहती है मेरा भाई मानसिंह बीरबल से ज़्यदा अक्लमंद है परन्तु अकबर इस बात से सहमत नहीं होते है वह कहते है बीरबल जितना तेज दिमाग किसी का नहीं हो सकता। 

महारानी कहती है मानसिंह एक मौका मिलगा तो वह साबित कर देगा वह तेज दिमाग का है। तब अकबर कहते है ठीक है हम दोनों को एक विदेश दौरे पर भेजंगे ,हमे पता है बीरबल की वजह से दोनों  सफल लौटगे। 

अगली सुबह अकबर , बीरबल और मानसिंह को ईरान में उनका साही पैगाम ले कर जाने को कहते है. बीरबल और मानसिंह ईरान के लिए निकल जाते है। ईरान में जा कर, दोनों वहाँ के सम्राट से मिलते है। सम्राट दोनों की बहुत प्रसंसा करते है। बीरबल सम्राट को शहंशाह अकबर की चिठ्ठी देते है। 

उस चिठ्ठी को पढ़ कर सम्राट चकर में पड़ जाते है। उस चिठ्ठी के अनुसार बीरबल और मानसिंह को मौत की सजा देने का प्रवधान था। 

सम्राट शहंशाह अकबर का आदेश नहीं टाल सकते थे इस लिए वो सिपाहीओं को आदेश देते है दोनों को बंधी बना लो कल सुबह इन्हे फांसी पे लटका दिया जायगा. 

बीरबल और मानसिंह इस पैगाम से अचंभित भी थे और हैरान भी , मानसिंह इस घटना से ज़्यदा ही डर गया था और वह सम्राट के आगे गिड़गिड़ने लग गया था। परन्तु बीरबल बिकुल भी नहीं घबराये और शांति से चुपचाप चले गए. 

कारगर के अंदर मानसिंह बीरबल से झगड़ने लगता है कहता है जब सम्राट सजा सुना रहे थे तुम एक शब्द भी नहीं बोले। बीरबल कहते है चिंता मत कीजिये हमे कुछ नहीं होगा। बीरबल कहते है शहंशाह ऐसा को किया में इस बात पर विचार कर रहा हु। 

मांनसिंघ कहते है हम कल मर जायँगे और तुम क्यों मरेंगे इस बात पर विचार कर रहे हो। बीरबल कहते है हम कल सुबह आज़ाद हो जायँगे में जैसा कहु बस वैसे ही करना तुम. 

अगले दिन , बीरबल फांसी वाली जगह पर पूछ कर बोलते है हज़ूर मुझे पहले फांसी प चढ़ना है। मानसिंह कहता है न न न , में चढूँगा पहले फांसी। फिर मानसिंह कहता है में अकबर का साला हु इस नाते में तुम से जयदा बड़ा हुआ इस लिए में फांसी चढूँगा पहले। 

सम्राट और सभी आसपास के लोग आचर्य में पड़ गए ,सम्राट कहते है तुम दोनों अजीब हो डर नहीं लगता फांसी पे चढ़ने से। बीरबल कहते है किस बात का डरना हज़ूर , अगर फांसी लगने  से इनाम मिलगा तो कोई डर नहीं है। 

सम्राट कहते है कैसा इनाम, बीरबल कहते है हमारे बहुत बड़े ज्ञानी पंडित ने एक भविस्येवानी की थी। आज के दिन जिसको पहले फांसी लगेगी वो इन्दर लोक का राजा बनेगा। और जो दूसरे नंबर पे चढ़गा वो मंत्री बनेगा। 

इस बात को सुनकर सम्राट के मन्न में लालच आ जाता है वो कहते है तुम दोनों आज़ाद हो वापिस अपने वतन लोट जाओ। जब बीरबल और मानसिंह वापिस चले जाते है सम्राट खुद अपने आप को फांसी पे लटकवा लेते है। 

यहाँ पर बीरबल और मानसिंह वापिस अकबर के दरबार में आ जाते है। अकबर पूछते है हम यह जाने के लिए बेताब है आप लोग कैसे मौत से बच कर वापिस आ गए।  मानसिंह उतर देते है बीरबल के दिमाग की वजह से आज हम दोनों जिन्दा है और वह पूरा किस्सा सुना देते है। तब अकबर रानी को कहते है  रानी अब आप मान गयी ना बीरबल की होश्यारी।  

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