रविवार, 31 जनवरी 2021

जादुई नाग एक पंचतंत्र की कहानी

जादुई नाग -पंचतंत्र की कहानी

जादुई नाग -पंचतंत्र की कहानी 

दोस्तों आज में आपको पंचतंत्र की कहानी सुनुँगा जिसका नाम है जादुई काला नाग। आशा है आपको मेरी यह पंचतंत्र की कहानी पसंद आएगी। 


एक गांव में दो बहने रहती थी। एक का नाम था प्रिया और दूसरी का नाम था सिया। दोनों अपनी माँ के साथ सुख से रहती थी। 


दोनों बहनो को आपस में बहुत ज्यादा प्रेम था। वह साथ में घूमती थी, खेलती थी, खाना पीना सब एक साथ ही किया करती थी। 


 एक दिन दोनों बहने  ने सोचा आज जंगल में जा कर खेलते है। जब वह दोनों जाने को तैयार होती है। तभी उनकी माँ उन्हें पुकारती है। 


प्रिय और सिया आज जंगल चलो वहाँ से फल तोड़ के लाने है। 


प्रिय - अरे आज तो भगवान ने हमारी बात सुन ली। 


सिया - आज तो बहुत मज़ा आएगा।  जंगल , मज़े आ गए। 


माँ - ले जा रही हूँ।  पर तुम दोनों वहाँ पर कोई मस्ती नहीं करोगी। में तुम्हे कुछ काम सिखाने ले जा रही हूँ। 


दोनों माँ की बात मान लेती है। माँ और बेटियाँ जंगल के लिए निकल पड़ते है। 

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कुछ दुरी पर दोनों को कबूतर और चिड़या नज़र आती है। दोनों बहने रास्ता छोड़ कबूतर के झुंड के पास चली जाती है। 


दोनों कबूतर के साथ खेलने लगती है। यह देख माँ को गुस्सा आता है और वह दोनों को लड़ने लग जाती है। 


दोनों  बहने वापिस आ जाती है। कुछ समय बाद तीनो जंगल में पूछ जाती है। माँ उन्हें फल तोड़ने के तरिके सीखती है। 


 कुछ  समय बाद दोनों बहने बहुत सारे फल तोड़ लाती है। 


तीनो वापिस घर आ जाते है।  माँ बहुत खुश होती है। वह कहती है कल में इन फल को पास के गांव में बेच आऊंगी। 


सिया माँ के साथ चलने को कहती है। माँ मना कर देती है। 


अगली सुबह माँ चली जाती है ,प्रिय सिया से जंगल में जा के खेलने को कहती  है। दोनों बहने जंगल के लिए निकल पड़ती है। 


जंगल में दोनों बहने चिडया , खरगोश और हिरण के साथ बहुत देर तक खेलती है। 


खेलते हुए दोनों की नज़र एक काले नाग पर पड़ती है। जो एक पेड़ की टहनी में फसा हुआ था। दोनों बहने नाग को आज़ाद कर देती है काला  नाग वहाँ से चले जाते है। 

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दोनों बहने दुबरा खेल में मगन हो जाती है। काफी समय खेलने के बाद दोनों आराम करने पेड़ के नीचे बैठ जाती है।  दोनों कब सो जाती है उन्हें पता नहीं चलता। 


दोनों की आंख रात में खुलती है। दोनों घबरा जाती है और जल्दी जल्दी घर के लिए निकल पड़ती है। 


रास्ते में उन्हें झाड़ी के पीछे कुछ रोशनी नज़र आती है। दोनों रौशनी का पीछा करती है। जब वह रौशनी के नज़दीक पूछती है दोनों डर जाती है। 


यह रौशनी काला नाग के माथे से आ रही थी। दोनों वहाँ से भागने की क़ोशिश करती है। तभी काला नाग बोलता है डरो मत में वही नाग हु जिसकी मदद तुम दोनों ने सुबह की थी। 


सिया कहती है आपके सर पे यह मणि कैसी है।  वह कहते है में एक जादुई नाग हूँ इस लिए मेरे पास यह मणि है। 


जादुई नाग  बोलता है तुमने मेरी मदद की इस लिए में तुम्हे एक इनाम दूंगा। जहाँ  तुम खड़ी हो उस जगह को खोदो वहाँ तुम्हे ढेर सारे सोने के सिक्के मिलेंगे। 


मेरी मदद करने का एक छोटा सा इनाम है। परन्तु यह इनाम तुम्हे तभी मिलेगा जब तुम वादा करो, की मेरे बारे में किसी को कुछ नहीं बताओगी। 


दोनों वादा करती है और सोने के सिक्के ले कर घर आ जाती है। सिक्के  वह अपनी माँ को दे देती है। 


माँ पूछती है तो दोनों झूठ  बोलती है की एक राजा ने उन्हें दिए है। 


माँ उन सिक्के  से बड़ी फल की दुकान खोलती है। और उनके घर में ख़ुशी  की लहर आ जाती है। 


तो दोस्तों कैसी लगी आपको पंचतंत्र की कहानी। आशा है आपको जादुई नाग की कहानी पसंद आयी होगी। 

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सोमवार, 25 जनवरी 2021

Akbar Birbal story sone ka khet in Hindi

Akbar Birbal sone ka khet

Akbar Birbal sone ka khet-

एक दिन अकबर के हरम में एक सेवक साफ सफाई कर रहा  था। साफ सफाई करते हुआ उससे अकबर का प्रिये फूलदान गिर जाता है। 


वह बहुत ज्यादा ड़र जाता है। क्युकी वह जनता है शहंशाह को यह फूलदान दिल से भी ज्यादा पसंद है। 


वह सजा से बचने के लिए फूलदान के टुकड़ो को छुपा देता है। 


अकबर अपने कमरे में आते है फूलदान नहीं पा के वह सैनिक को बुलाते है। पूछते है हमारा हमारा फूलदान कहाँ पर है। सैनिक कहता है पता नहीं हज़ूर ,में सेवक को बुला कर लाता हु। 


अकबर - हमारा फूलदान कहाँ पर है बताओ। 


सेवक - हज़ूर में उसे साफ करने ले गया था। 


अकबर - तुम उसको यहां  भी साफ कर सकते थे फिर उसे अपने घर क्यों ले गए। 

जाओ उसे वापिस लाओ। 


सेवक - हज़ूर वह साफ सफाई करते समय टूट गया। 


अकबर - अभी तो तुम कह रहे  थे घर ले गए। गलती से टूट जाता तो हम तुम्हे माफ़ कर देते। परन्तु  तुमने झूठ  बोला है। जाओ हमारी सल्तनत से दफा हो जाओ। 


अकबर यह किस्सा दरबार में सुनाते है। अकबर पूछते है क्या किसी ने कभी झूठ बोलै है। सब जवाब देते है नहीं। 


बीरबल बोलते है जनाब हम सभी को कभी न कभी झूठ बोलना पड़ता है। किसी दुःख  ना हो तो झूठ बोलने में कोई हर्ज़ नहीं होता। 


अकबर - हम यह क़तई बर्दास्त नहीं कर सकते हमारे सल्तनत का मंत्री झूठा हो। हम यह बर्दास्त नहीं कर सकते हमारा मंत्री एक झूठा है। बीरबल आज से तुम हमारे मंत्री नहीं हो। 


अकबर यह कह कर बीरबल को राज्ये  से बहार कर  देते है। 


बीरबल को  दिल पे लग जाती है।  वह सोच विचार करते है। तब उन्हें एक सुझाव आता है। 


वह सुनार के पास जाते है और उससे एक गैहू की डाल बनाने को कहते है। 


कुछ दिनों बाद। ... 


बीरबल दरबार में जाते है। अकबर बीरबल को देख कर काफी क्रोधित हो जाते है। कहते है हमने तुम्हे यहां आने से मना किया था पर फिर भी तुम यह  गए। 


बीरबल- हज़ूर में मानता हु। परन्तु राज्य की भलाई की बात होगी तो मुझे आना ही पड़गा। मुझे एक ऐसी चीज़ मिली है। जो सल्तनत को काफी आमिर बना देगी। 


बीरबल फिर अकबर को सोने की डाल दीखते है। बीरबल बताते है मेरे गुरु ने कहाँ है ,अगर हम इस सोने की डाल को किसी खेत में बोते है तो ,वह सोने का खेत बन ज्यागा। 

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अकबर - क्या तुम्हे यकीन है। 


बीरबल - हज़ूर यह कोई आम ज्योतिषी नहीं है। मुझे यह डाल दे कर वह तालाब के ऊपर से चल कर  दूसरी तरफ चले गए। 


अकबर - कल सवेरे उपजाऊ ज़मीन देख कर इससे बोते है। 


ऐसा कह कर अकबर अपने महल की तरफ चले जाते है। 


अगली सुबह अकबर बीरबल और सभी नगर वासी खेत पर पहुंचते है। 


अकबर - जाओ बीरबल बोअ दो सोने की डाल  को। 


बीरबल - नहीं हज़ूर में नहीं कर सकता। इस डाली को वही बो सकता है जिसने कभी झूठ नहीं बोलै हो।  आप तो जानते है में कई बार झूठ बोल चूका हु। 


अकबर- सभी नगर वासिओ  कहते है , आप मेसे कोई आगे आये और इस बाली को बोये। 


सभी मुँह निचे कर के खड़े हो जाते है। 


बीरबल - मुझे लगता है आप ही इसकी बुआई कर सकते है। 


अकबर इधर उधर देखने लग जाते है। 


बीरबल कहते है जनाब  में झूठ बोल रहा था। यह सोने की बाली जादुई नहीं है। यह मेने एक जोहरी से बनवायी थी। 


आप समझ गए होँगे हर किसी को कभी न कभी झूठ बोलना पड़ जाता है। 


अकबर कहते है हम समझ गए बीरबल। 


अकबर बीरबल से माफ़ी मांगते है।  कहते है तुमने सचाई बोली फिर भी हमने तुम्हे सजा दी। 


अकबर उस सेवक को भी वापिस राज्ये में बुलवा लेते है। 

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शुक्रवार, 22 जनवरी 2021

Desh Bhakti Shayari in Hindi 2020 : Swatantrata Shayari

desh bhakti shayari in hindi 2020-

दोस्तों स्वतंत्र दिवस के उपलक्ष में , में अपने फौजी भइओ और अपने भारत देश के लिए कुछ शायरी लिख रहा हु  इसका  शीर्षक है "desh bhakti shayari in hindi 2020". 

मुझे उम्मीद है मेरे सच्चे देश भक्तो आपको मेरी शायरी बहुत ज्यादा पसंद आएगी 

आइये शायरी सुरु करता हु।    

desh bhakti shayari in hindi 2020
         

 (1)

शान तिरंगा ऑन तिरंगा ,मेरा मन में है तिरंगा 

तीन रंगी छटा बिखरे , शांति की पहचान तिरंगा 

भारतभूमि पे जब लहराए , जागे मन में अरमान तिरंगा 

देशभक्ति देश प्रेम का ,सबका है अरमान तिरंगा 


कोण करे क़ुरबानी बताओ ,कौन देश के काम आये 

देश के वीर जवानो के , हिस्से में ये मक़ाम आये 

खून हमारा बोल रहा है , जिगर में यह खोल रहा है 

एक दिन तो अपने भी हिस्से में  ये मुकाम आये 

शान तिरंगा ऑन तिरंगा , मेरे मन का मान तिरंगा


लहू गिरे जब इस धरा पे तो, दुश्मन सारे काँप उठे 

भारत माँ की जय , सबके दिल से यह आवाज उठे 

सभी सुनो विजय कहानी, भारत के वीर सपूतो की 

अरे भारत देश के जबाज़ो में , अपना भी तो नाम आये 

एक दिन तो अपने हिस्से भी यह दीवानी शाम आये 

शान तिरंगा ऑन तिरंगा , मेरे मन का मान तिरंगा

 (2)

कुछ जोश तिरंगे की ऑन का है ,

कुछ जोश मातृभूमि की शान का है ,

हम फहराएंगे हर जगह यह  तिरंगा 

जोश यह हिंदुस्तान की शान का है

 (3)

झंडा हमारा है शान -ऐ -जिंदगी ,

वतन परस्ती है वफ़ा -ए -जिंदगी ,

देश के लिए मर मिटना कबूल  है मुझे ,

अखंड भारत के सवपन का जूनून है मुझे 

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 (4)

यह नफरत बुरी है न पालो इसे ,

दिल में देवेश है निकलो इसे ,

ना तेरा , ना मेरा ,ना इसका , ना उसका ,

यह हमारा वतन है ,बचालो भाईओ इसे

 ( 5)

में हु बजरंगी और,

भारत देश मेरा प्रभु राम है ,

देख लो छाती चिर के ,

दिल में हिंदुस्तान है

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(6)

कहते है अलविदा इस संसार को , 

जा के खुदा के घर वापिस ना आया जायगा ,

हमने लगाई जो आग इंकलाब की है ,

इस आग को किसे से बुझाया न जायगा।

(7)

जिनके जाने पे परिवार को गम कम और गर्व जयदा होता है ,

दोस्तों उनकी वजह से हिंदुस्तान सुख की नीद सोता है

(8)

अरे शेरो के बेटे शेर ही जाने जाते है ,

और लाखो के बीच देश के फौजी ही पहचाने जाते है

(9)

घरवालों को वापिस आने की उम्मीद दे के जाता है ,

जीत जायँगे जंग , मन में प्रण कर के जाता है ,

बेखौफ छुड़ता है ,दुश्मनो के छक्के ,

जनाब फौजी है , तिरंगा लहराकर वापिस आता है

(10)

सिर्फ बेटियां ही नहीं दोस्तों ,

बेटे भी घर छोड़ जाते है ,

और वो बेटे फौजी कहलाते है ,

यह फौजी भी कमाल के होते है साहब ,

बटुए में परिवार और दिल में देश को छुपा लेते है

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11)

जब जब जिसने मेरे देश को ललकारा है ,

मेरे फौजी भाइओ  ने उनके सिंने में तिरंगा गाड़ा है

12)

मेरा दिल टुकड़ो में बिखर गया।,

जब एक शहीद फौजी की माँ बोली ,

मेजर शाहब आप एक १ इंच छोटा होने पे फ़ौज में नहीं लेते ,

में एक फुट छोटी लाश कैसे ले लू

13)

शहीद भगत सिंह के आखरी सब्द ,

भारत माँ तू रो मत , में वापिस आऊंगा

14)

उनकी सड़ती रही लाशे,

महतमा गाँधी फिर भी चुप थे ,

हमे पढ़या गया , गाँधी के चरखे से आयी आज़ादी ,

फिर वो फांसी पे चढ़ने वाले २५ साल के जवान कौन थे।

15 august 2020 ki shayari

16)

मेरे जज़्बातो से इस तरहा वाकिफ है मेरी कलम ,

अगर में प्यार भी लिखना चाहु ,तो भी इंकलाब लिख जाता है

17)

दुःख इस बात का नहीं,

१००,५०० के नोटों पे फोटो नहीं है तेरी ,

दुःख इस बात का है ,

दिलो से फोटो गयब  है तेरी

18)

एक दिया वीरो के नाम का भी रख लो ,

पूजा की थाली में। 

जिन सपूतो की जान चली गयी ,

मेरी भारत माँ की रखवाली में

19)

तुफानो से लड़ते है जो , आंधिओं में डटते  है जो ,

देश की मिटटी में जो अपने अंग अंग रंगते है। 

पंचतत्व भी जिनका सामन करे ,

वह भारत माँ के वीर कहाँ किसी से डरते है

20)

सुन देश के ऊपर हमला ,

बंदूक उठा चलता हु ,

है मौत का गम किसको ,

में खून धरा को देता हु

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21)

ना पूछो ज़माने को ,

क्या हमारी कहानी है ,

हमारी पहचान तो यह है ,

हम भारत देश के हिंदुस्तानी है

22)

क्यों मरते हो दोस्तों सनम के लिए ,

ना देगी दुपटा कफ़न के लिए ,

मरना है तो मरो वतन के लिए ,

तिरंगा तो मिलगा कफ़न के लिए

23)

में भारत वर्ष का हमेसा गुणगान करता हु ,

यहां की चाँद जैसी मिटटी का गुणगान करता हु ,

मुझे कोई मोह नहीं  है  स्वर्ग जाने की ,

तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही चाहत  रखता हु

24)

ज़माने भर में मिलते है आशिक़ कई ,

मगर वतन जैसा खूबसूरत सनम  नहीं देखा ,

नोटों पे भी लिपट कर और सोने में भी चिपट कर मरे है कई ,

मगर तिरंगे जैसा खूबसूरत कफ़न ना देखा

25)

मुक़बल  है इबादत  और में वतन में ईमान रखता हु ,

वतन की शान के खातिर में हथेली पे जान रखता हु ,

क्यों देखते  हो मेरी आँखों में नकशा पाकिस्तान का ,

मुस्लिम हु सच्चा , दिल में भारत देश रखता हु

Desh bhakti shayari in hindi 2020 के लिए मेरी कुछ विशेष टिपण्णी-

दोस्तों हमारे फौजी भाई अपने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण गवा देते है ,हमे उन भइओ का सम्मान करना चाहिए। 

इंडिपेंडेंस डे और रिपब्लिक डे दो ऐसे दिवस है जहां पर हम अपने भइओ को याद कर के। उन्हें सच्ची ट्रिब्यूट दे सकते है। 

अपने देश का सम्मान और प्यार ही सच्ची देश भक्ति है। एक हिंदुस्तानी के रूप में हमे सबका सम्मान और सबके विकास का नारा का अनुसरण करना चाहिए। 

इसी के साथ सभी बहेनो और भइओ को १५ अगस्त २०२० को हार्दिक शुभकामनये। 

जय हिन्द

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सोमवार, 18 जनवरी 2021

Kathal ka fal: Akbar Birbal Ki kahaniya

kathal ka fal

कटहल का फल -

 राजा बीरबल को प्रकृति से बहुत प्रेम था वह अपना अधिक समय बाग़ बगीचों में बिताते थे। उनकी सबसे मनपसंद जगह महाराज अकबर का बगीचा था। 

इस बगीचा की देख रेख एक बिनोद नामक माली करता था। वह शांत सवभाव का आदमी था। वह सीधी जिंदगी जीता था। उसे अपने बगीचों से प्रेम था। 

बीरबल और बिनोद अक्सर बाग़ के पेड़ ,पोधो और फूलो की बातें किया करते थे। राजा बीरबल उसके साथ बहुत अच्छा व्यव्हार करते थे। माली भी बीरबल की बहुत इज़्ज़त करता था। 

एक दिन बीरबल बगीचे में घूम रहे थे। उन्हें किसी की रोने की आवाज सुनाई दी। जब उन्होंने वहा जा के देखा तो बिनोद रो रहा था। 

उन्होंने बिनोद से रोने का कारण पूछा। बिनोद पहले मना करने लगा फिर सबकुछ बता दिया। 

माली कहता है में पिछले १५ वर्ष से अपने बुढ़ापे के लिए बचत कर रहा था। मेने अपनी सारी बचत कटहल के फल के निचे दबा के रखे थे। परन्तु आज वहां से मेरे सारे पैसे चोरी हो गए। 

बीरबल कहते है तुमने यहाँ पैसे छुपा के क्यों रखे। माली कहता है जनाब मेने सोचा पेड़ के निचे कौन पैसे देखेगा इसी वजह से मेने छुपा दिए। 

में अपना पूरा समय यही बिताता हु इस वजह से मेरी पूरी नज़र यही रहती थी। बीरबल कहते है। अगर ऐसा है जिसे तुमने बतया था वही चोर होगा। तुमने किसको इसके बारे में बताया था। 

माली- मेने किसी को भी नहीं बताया था हज़ूर। 

बीरबल- फिर पक्का तुम्हे किसी ने यहां पैसे दबाते देखा होगा। 

बिनोद - यहाँ पर तो किसी का भी आना मना है सिवाय आपके ,शहंशाह अकबर और कुछ मंत्री के आलावा। 

बीरबल - तुम चिंता मत करो। मुझ पर विश्वास करो में तुम्हारे पैसे ढूढ़ निकलूंगा। अब घर जाओ और आराम करो। 

बीरबल अपने घर में मंथन करते है। विचार करते समय उन्हें एक बात सुझाती है कटहल के फल के पेड़ के पास कोई क्यों खोदेगा। तभी उन्हें विचार आता है कोई वेद या हाकिम ही खोद सकता है जड़ी बूटी की खोज में। 

अगले दिन बीरबल दरबार में अकबर के सामने सब कथा सुनाते है। बीरबल अकबर से आज्ञा मानते है मंत्री से कुछ जवाब के लिए। 

बीरबल - आप लोगो में से हाल ही में कोई बीमार हुआ है। 

एक मंत्री - हां। पिछले कुछ दिनों से मुझे गले में दिकत है में एक आयुर्वेदिक दवा का सेवन कर रहा हु। 

बीरबल - आप जड़ी बूटी कहा से लाये थे। 

मंत्री - यह जड़ी बूटी मेरी बीवी की माँ ने भेजी थी। 

दूसरा मंत्री - बीरबल जी मुझे कब्ज की शिकायत है ,मेरे हाकिम जी ने मुझे एक दवा दी थी। में उसका सेवन कर रहा हु। पर उस दवा का कोई असर नहीं है। पेट अभी भी गंदगी से भरा हुआ है। आपके पास इलाज है तो बता दे मुझे। 

बीरबल - मेरे पास इलाज तो नहीं है। पर क्या आप उन वेद को दरबार में बुला सकते है। 

दूसरा मंत्री - जी है ,उनका नाम मनोज डे है। 

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अकबर मनोज डे को दरबार में बुलाने की आज्ञा देते है। 

बीरबल - वैद्य जी में बहुत दिनों से परेशान हु बहुत दिनों से मुझे कब्ज की शिकायत है। आप मुझे कोई दवा दे ताकि मेरा पेट सांत हो। 

मनोज डेय - जी चिंता ना करे में अपनी दवाई में कटहल का फल इस्तमाल करता हु। उसके सेवन से आपकी लैटरिंग सब बहार आ जायगी और आपका पेट भी आराम में रहेगा। 

बीरबल - वेध जी पर कटहल का पेड़ हमे कहाँ पर मिलेगा। 

मनोज डेय - जनाब एक कटहल के फल का पेड़ शहंशाह के बगीचे में है। 

बीरबल-   वेध जी में आपको एक मौका दूंगा। बिनोद के पैसे लोटा दे। 

वेध - जनाब मुझे माफ़ करना में उसके पैसे वापिस कर दूंगा। 

बीरबल - अकबर से विनती करते है। मनोज डेय को माफ़  कर दो उसकी सचाई के लिए। 

बीरबल मनोज डेय से पैसा ले कर बिनोद को वापिस कर देते है। 

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गुरुवार, 14 जनवरी 2021

निकम्मा काज़ी : बीरबल की बुद्धिमानी

निकम्मा काज़ी बीरबल की बुद्धिमानी

निकम्मा  काज़ी -

कहानी का आगाज़ होता है शहंशाह अकबर से ,वह अपने दरबार में बैठे हुए थे। 

एक किसान उनसे मिलने के लिए आता है। 

अकबर - बोलिये आपको मुझ से क्या काम है। 

किसान- जहाँपना मेरा नाम शाहरुख़ है में एक किसान हु। में थोड़े से पैसे कमा कर अच्छी खासी जिंदगी जी रहा था। ६ महीने पहले तक मेरी जिंदगी बहुत अच्छी खासी निकल रही थी। 

एक दिन मेरी बीवी की मिर्त्यु हो गयी। बीवी के चल बसने के बाद में अकेला महसूस करने लगा। मेरी कोई औलाद भी नहीं है। 

इसी वजह से में ज्यादा डिप्रेशन में आ गया था। 

एक दिन मुझे काजी सलमान मिले। उन्होंने मुझ से पूछा तुम दुखी क्यों हो। मैने उनको सब कुछ बता दिया ,

तब उन्होंने मुझे कश्मीर में जाने की सलाह दी थी। में उनकी सलाह के अनुसार कश्मीर में कुछ दिन के लिए चला गया। 

परन्तु जाने से पहले मैने अपनी जिंदगी भर की कमाई काजी सलमान को दे गया था। मेरे थैले को कोई नहीं खोले इस लिए मैने थैले के ऊपर सील लगा दी थी। 

जब में कश्मीर से वापिस लौटा उसके बाद में काजी के पास अपना धन लेने चला गया। काजी ने मुझे थैला वापिस कर दिया। 

वापिस करते हुए उन्होंने थैले पर लगी सील जांचने को भी कहा। सील सही थी। 

में अपने पैसे वापिस ले कर घर आया। जब मैने थैला खोला तो उसमे सोने के सिक्के की जगह पथर के टुकड़े मिले। 

में उनके पास दुबारा गया और सारी कथा सुनाई। परन्तु उन्होंने मुझे मेरे धन देने के बजाए। मुझे गिरफ्तार करवाने की धमकी दे कर वापिस भेज दिया। 

शाहरुख़ कहता है आपके पास में आखिरी आस ले के आया हु हज़ूर। आप ही मुझे मेरा धन वापिस दिलवा सकते है। 

अकबर बीरबल को यह पहेली सुलझाने को कहते है। 

बीरबल किसान से पूछता है। आपके पास वह थैला अभी मजूद है। शाहरुख़ उन्हें थैला दे देता है। 

बीरबल अकबर से कुछ दिनों की मोहलत मांगते है सचाई को खोजने के लिए। 

अकबर उन्हें समय दे देते है। 

बीरबल काफी सोच विचार करते है। उसके बाद वह अपनी एक पोशाक को फाड् देते है। 

बीरबल अपने सेवक को बुला कर कहते है। पुरे शहर खोजो पर मुझे एक ऐसा दर्जी चाहिए। जो मेरी पोशाक सिले दे और पोशाक में सिलाई दिखयी भी नहीं दे। 

सेवक कुछ समय बाद पोशाक ले कर आता है। बीरबल पोशाक की सिलाई देख कर हैरान रह जाते है , वह उस दर्जी का नाम और पता पूछते है। 

सेवक उसका नाम अजय और वह नगर के बीचो बीच रहता है। 

बीरबल उस दर्जी को अपने घर बुलवाते है। 

अगले दिन...

अकबर बीरबल से पूछते है।  आपने  सचाई का पता लगवा लिया है या अभी और समय चाहिए आपको। 

बीरबल उत्तर देते है।  जनाब आप उन दोनों को बुलवा लीजिये में सचाई उनके सामने साबित कर दूंगा। 

अकबर दोनों को हाज़िर होने का हुकुम देते है। 

अकबर किसान से पूछते है ,यह वही थैला है जो तुमने इस काजी सलमान के पास रखवाया था। 

शाहरुख़ उत्तर देता है जी  हां हज़ूर। 

बीरबल काजी से पूछते है। यह वही थैला है। 

सलमान उत्तर देता है जी हा हज़ूर , पर मैने यह थैला खोला नहीं। इस थैले में मोहर वैसी की वैसी थी हज़ूर। 

बीरबल अजय दर्जी को दरबार में बुलवाते है। 

बीरबल अजय से पूछते है आपने  काजी साहब का हाल ही में कोई काम किया है। 

दर्जी बताता है जी हज़ूर, मैंने  इनका एक पैसे से भरा थैला सीला था। 

बीरबल कहते है हज़ूर यह एक निकम्मा  काज़ी है। इसने शाहरुख़ के पैसे खाये है आपको इसको कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। 

अकबर निकम्मा काज़ी को उम्र भर जेल में रहने की सजा सुनते है। 

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रविवार, 10 जनवरी 2021

chitrakar ki vyatha : Akbar birbal ki kahaniya

चित्रकार की व्यथा

चित्रकार की व्यथा -

शहंशाह अकबर बहुत गुस्से वाले थे। छोटी छोटी बातो पर वह दुसरो को सजा दे देते थे। बीरबल यह बात जानते थे। वह कुछ ना कुछ तरकीब लगा कर शहंशाह का गुस्सा शांत कर देते थे। 

एक दिन शहंशाह अकबर अपने कमरे में बैठ कर कुछ विचार कर रहे थे। तभी वह सिपाही को बुलाते है और पूछते है। 

अकबर -सिपाही हमारे कमरे का रंग हरा किसने चुना।
सिपाही - डरते हुए जवाब देता है। जनाब आपने ही चुना था। 
अकबर - हम ऐसा रंग चुन ही नहीं सकते।  जाओ जिसने भी इस कमरे को रंगा है उसे हमारे सामने प्रस्तुत करो। 

सिपाही चित्रकार को ले के आता है। 

अकबर - ओह आ गए तुम। 

चित्रकार - मुझ से क्या गलती हुई जहाँपना। 

अकबर - तुम्हे नहीं पता तुमने क्या गलती की।  यह देखो दीवारे इस दीवार का रंग हमे बिलकुल पसंद नहीं आया। 

चित्रकार - हज़ूर में पूरी रात काम कर के इस कमरे का रंग बदल दूंगा। 

अकबर - जाओ अपने सभी रंग ले के आओ हमे जो पसंद आयंगे। इस बार वही रंग दिवार पर होने चाहिए। नहीं तो तुम्हे वह सारे रंग पिने होँगे। 

चित्रकार  अपने सभी रंग अकबर को ला कर दीखता है। अकबर उनमे से एक रंग का चुनाव करते है। रंगरेज पूरी रात मेहनत कर के पुरे कमरे में रंग करता है। 

अगली सुबह अकबर अपने कमरे में आते है। अपने कमरे का रंग देख कर अकबर बहुत जयदा गुस्सा होते है। वह तुरंत सिपाही को रंगरेज को बुलाने का आदेश देते है। 

चित्रकार आता है।  अकबर उसको आदेश देता है।  जाओ अपने सभी रंग ले कर आओ। 


रंगरेज जल्दी जल्दी जाता है जाते हुए वह बीरबल से टकरा जाता है बीरबल उनसे जल्दी का कारण पूछते है। चित्रकार उन्हें सब कुछ बता देते है। 

बीरबल रंगरेज से कहते है। अगर अकबर ने कहाँ है तो वह पक्का तुमसे रंग पिलवायंगे। परन्तु में तुम्हे एक तरकीब बता रहा हु वह तुम अनुसरण करना। 

चित्राकर रंग के मटके ले कर अकबर तक जाते है। अकबर उन्हें आदेश देते है। इन सभी रंग को पि जाओ। 

चित्रकार सभी रंग को पी जाते है। अकबर उसे रोक देते है और कहते है अगली बार ध्यान देना। 

अकबर मन ही मन सोचते है। इतना रंग पिने के बाद यह २ दिन तक बीमार रहेगा। 

अगले दिन अकबर सोच में पड़ जाते है। चित्रकार अभी भी काम कर रहा था। 

अकबर चित्रकार को बोलते है और कहते है तुमने अभी तक अपना काम खत्म नहीं किया। जाओ अपने रंग दुबरा लाओ। 

रंगरेज बीरबल को ढूढ़ते है। उनसे फिर से मदद मांगते है। बीरबल उन्हें फिर एक तरकीब बता देते है। 

चित्रकार रंग के मटके ले आता है अकबर फिर दुबरा उसको रंग पिने को कहता है। चित्रकार रंग पिने लगता है। 

अकबर उसको रोक कर रंग के मटके के द्रवेय को जांचते है। उन्हें जाँच में पता चलता है यह रंग नहीं बल्कि शरबत  है। 

अकबर उससे पूछते है मेरे साथ फरेब। बताओ यह तरकीब तुम्हे किसने बताई। 

बीरबल आते है और कहते यह योजना मेने बतई थी हज़ूर। अकबर कहते है मुझे समझ जाना चाहिए था। 

अकबर कहते है तुम्हे कैसे पता चला में इसको कोनसे मटके का रंग पिने को कहूँगा। बीरबल कहते है हज़ूर मुझे नहीं पता था। मेने इसको सभी मटको में शरबत लाने कहाँ था। 

अकबर बीरबल को शाबाशी देते हुए कहते है। बीरबल जितना बुद्धिमान कोई नहीं। 

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गुरुवार, 7 जनवरी 2021

Birbal ki chaturai ki kahani- jadui gadha

बीरबल की चतुराई

birbal ki chaturai ki kahani

बीरबल की चतुराई की कहानी शुरू होती है , शहंशाह अकबर और महारानी के साथ। 

अकबर , महारानी को आभूषण तोफे में देते है।  महारानी बदले में अकबर से कहती है। यह आभूषण हमे बहुत पसंद आया। 

अगले दिन महारानी अपना सिंगार कर रही थी. सिंगार करते समय वह दराज में अपना आभूषण खोजती है। परन्तु उन्हें आभूषण नहीं मिलता। 

रानी बाहर  से एक नौकरानी को  बुलाती है और उसको हुकम देती है। हमारा आभूषण को खोजो। 

नौकरानी ,रानीसहिबा से कहती है। आज आप दूसरा आभूषण पहन लीजिये। 

रानी कहती है नहीं , यह आभूषण हमे शहंशाह ने तोफे में दिया है। हमे उसी आभूषण को पहनेगे। 

अकबर उसी समय आते है। रानी उन्हें सारी कथा बता देती है। अकबर रानी को समझते है आप चिंता ना करे। हम आपको दूसरा आभूषण ला कर दे देंगे और यह आभुषण भी ढूढ़ निकालेंगे। 

अकबर सैनिको को आदेश देते है। जाओ कमरे का कोना कोना छान डालो पर हमे वह आभूषण किसी भी कीमत पर चाहिए। 


सैनिक कुछ समय बाद आता है। वह बताता है जहाँपना हमने पूरा कमरा छान मारा परन्तु आभूषण कही पर भी नहीं मिला। लगता है वह हार चोरी हो गया है। 

अकबर इस बात से काफी सकते में आ जाते है। वह फ़ौरन बीरबल को बुलाने का आदेश देते है। 

बीरबल आते है , अकबर बीरबल को सारी कथा सुना देते है। बीरबल भी इस बात से सहमत थे की हार चोरी ही हुआ है। 

बीरबल फ़ौरन सभी दाशिओ और पहेरेदारो को एकत्रित करते है। बीरबल अकबर से कहते है ,आप इन् सभी को यही पर बैठा कर रखे।  में अभी अपने एक मित्र को बुला कर लाता हु। वह चोर को पकड़ने में मदद करेगा। 

बीरबल कुछ समय बाद आते है। उनके साथ एक गधा मौजूद था। 

अकबर बीरबल से कहते है यह गधा यहाँ पर क्या कर रहा है। 

बीरबल उत्तर देते है यह एक जादुई गधा है। यह चोर को पकड़ने में हमारी मदद करेगा। 

बीरबल उस गधे को एक कमरे में बंद कर आते है। बीरबल कहते है जैसे मैंने कहाँ यह एक जादुई गधा है। अब सभी एक एक कर के अंदर जाये और गधे की पूछ पकक्ड़ कर बोले मैंने हार नहीं चुराया। 

फिर मेरा मित्र बताएगा चोर कौन  है। सभी एक एक कर के अंदर जाते है और जादुई गधे की पूंछ पक्कड़ कर कहते है मैंने हार नहीं चुराया। 

फिर बीरबल सभी के हाथ एक एक कर के जांचते है। और फिर उनमे से एक दाशी को दोषी बताते है। 
अकबर कहते है आप इससे दोषी किश आधार पर साबित कर रहे है। 

बीरबल बताते है। जहाँपना मैंने गधे की पुंछ पर एक विसेस प्रकार का पानी लगाया था। उस पानी के अवसेस सभी के हाथ से मिले परन्तु इस दाशी के हाथ पर कोई निशान  नहीं थे। 
इसी आधार पर मैंने इसको दोषी ठहराया है। 

अकबर बीरबल की चतुराई से बहुत खुस  होते है और बोलते है बीरबल की चतुराई की कहानी में एक किस्सा और जुड गया वह है जादुई गधा। 

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सोमवार, 4 जनवरी 2021

अकबर बीरबल की कहानियाँ - मुर्ख लोगो की सूची

मुर्ख लोगो की सूची -

मुर्ख लोगो की सूची

एक दिन शहंशाह अकबर अपने दरबार  बैठे हुआ थे , अकबर सभी दरबारिओ को सम्भोदित करते हुए कहते है. 

अकबर - हम कितने खुश किस्मत है , जो हमे इतने बुद्धिमान लोग मिले, हम बुद्धिमान लोगो से मिल कर बहुत पक  चुके है , हमे अब मुर्ख लोगो से मिलना है। 

अकबर बीरबल से कहते है , आप बहुत चतुर है हम आपको यह चुनौती देते है, आप हमारी सल्तनत के 5 ऐसे लोगो का पता लगाए जिन्हे हम सबसे बड़ा पागल कह सके। 

बीरबल - आप ऐसा करना कहते है जहाँपना। 

अकबर - हा , हमे हमारी सल्तनत के 5 सबसे पागल व्यक्ति ढूढ़ कर ला कर दो.

 बीरबल - में उन्हें कल तक आपके सामने ला कर रख दूंगा हज़ूर। 

बीरबल पागल व्यक्ति की तलाश में निकल जाते है। उन्हें सामने से एक व्यक्ति गधे पर बैठ कर आते दीखता है.

बीरबल - रुको , मुझे तुम्हे जानने की इच्छा है। तुम कौन हो। 

व्यक्ति - जी मेरा नाम मनोज है। में एक धोबी हु। में अपने गधे के लिए कुछ चारा ले कर लोट रहा हु. 

बीरबल -  एक चीज़ बताओ।  बोझ  सर पर को ढ़ो रहे हो , तुम्हारे पास गधा है। 

धोबी - जी , मेने सोचा गधा इतना वजन सर पर कब तक ढोएगा। कुछ देर इसको आराम दे दू। 

 बीरबल - मन में सोचते हुए कहते है ,यह हे मेरा पहला पागल , खुद गधे पर बैठ कर ,उसका वजन काम कर रहा है. 

बीरबल - धोबी , तुम मेरे साथ महल चलो में तुम्हे इस काम के लिए इनाम दिलवाऊंगा। 

ऐसा कह कर दोनों महल की तरफ चल देते है। चलते चलते उन्हें रस्ते में दो व्यक्ति लड़ते हुआ दीखते है। 

बीरबल - तुम लोग कौन हो और को लड़ रहे होआ. 

पहला व्यक्ति - हज़ूर मेरा नाम विवेक है और ये निखिल है। निखिल मेरी गाय के ऊपर  शेर छोड़ने की बात कह रहा है. 

बीरबल- कहाँ  पर है शेर , कहाँ  पर है गाय 

दोनों कहते है हज़ूर , जैसे ही हमे वरदान मिलेंगे में गाय माँगूगा और ये शेर। 

दूसरा व्यक्ति - जैसे ही मुझे शेर मिलेगा में इसकी गाय पर छोड़ दूंगा। 

बीरबल मन ही मन कहते है मुझे दो पागल और मिल गए। बीरबल उन दोनों को भी अपने साथ महल आने को कहते है। 

बीरबल उन ३ पागलो को अपने घर पर छोड़ जाते है और बाकि पागल की तलाश में निकल जाते है. 

रस्ते में उन्हें एक व्यक्ति कुछ ढूढ़ते हुए दीखता है. 

बीरबल - क्या में आपकी कुछ मदद कर सकता हु.

व्यक्ति - क्या तुम मेरी मदद करोगे। मेरी अंघूटी उस पेड़ के निचे गिर गयी है। परन्तु वहा पर ज्यादा अँधेरा है।  इसलिए में इसे यह उजाले में ढूढ़ रहा हु. 

बीरबल मन ही मन , मिल गया मुझे चौथा पागल। 

अगले दिन दरबार में। 

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अकबर- बीरबल क्या तुमने पागलो को ढूंढ निकाला। 

बीरबल- जी है , जहाँपना 

अकबर - क्या , मेरे शहर में इतने सारे पागल है। 

बीरबल- नहीं जहाँपना , किस्मत से मुझे सारे पागल एक ही दिन में मिल गए। 

बीरबल अकबर को सारे पागल उन्हें किस तरहा मिले उसकी कहानी सुनाते है। 

अकबर - तुम्हे सिर्फ ४ ही पागल मिले।  बाकि २ कहाँ पर हे। 

बीरबल - जी , सबसे बड़ा पागल में हु। क्योकि इन पागलो को ढूढ़ने का पागलपन में कर रहा था। 

अकबर - हमे दूसरे बड़े पागल का नाम सुनने से डर  लग  है ,बीरबल। 

बीरबल - जी सही सोचा अपने , सबसे बड़े पागल है आप। जो पागल को देखने की इच्छा हो रही थी आपको। 


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