Akbar Birbal sone ka khet

Akbar Birbal sone ka khet-

एक दिन अकबर के हरम में एक सेवक साफ सफाई कर रहा  था। साफ सफाई करते हुआ उससे अकबर का प्रिये फूलदान गिर जाता है। 


वह बहुत ज्यादा ड़र जाता है। क्युकी वह जनता है शहंशाह को यह फूलदान दिल से भी ज्यादा पसंद है। 


वह सजा से बचने के लिए फूलदान के टुकड़ो को छुपा देता है। 


अकबर अपने कमरे में आते है फूलदान नहीं पा के वह सैनिक को बुलाते है। पूछते है हमारा हमारा फूलदान कहाँ पर है। सैनिक कहता है पता नहीं हज़ूर ,में सेवक को बुला कर लाता हु। 


अकबर - हमारा फूलदान कहाँ पर है बताओ। 


सेवक - हज़ूर में उसे साफ करने ले गया था। 


अकबर - तुम उसको यहां  भी साफ कर सकते थे फिर उसे अपने घर क्यों ले गए। 

जाओ उसे वापिस लाओ। 


सेवक - हज़ूर वह साफ सफाई करते समय टूट गया। 


अकबर - अभी तो तुम कह रहे  थे घर ले गए। गलती से टूट जाता तो हम तुम्हे माफ़ कर देते। परन्तु  तुमने झूठ  बोला है। जाओ हमारी सल्तनत से दफा हो जाओ। 


अकबर यह किस्सा दरबार में सुनाते है। अकबर पूछते है क्या किसी ने कभी झूठ बोलै है। सब जवाब देते है नहीं। 


बीरबल बोलते है जनाब हम सभी को कभी न कभी झूठ बोलना पड़ता है। किसी दुःख  ना हो तो झूठ बोलने में कोई हर्ज़ नहीं होता। 


अकबर - हम यह क़तई बर्दास्त नहीं कर सकते हमारे सल्तनत का मंत्री झूठा हो। हम यह बर्दास्त नहीं कर सकते हमारा मंत्री एक झूठा है। बीरबल आज से तुम हमारे मंत्री नहीं हो। 


अकबर यह कह कर बीरबल को राज्ये  से बहार कर  देते है। 


बीरबल को  दिल पे लग जाती है।  वह सोच विचार करते है। तब उन्हें एक सुझाव आता है। 


वह सुनार के पास जाते है और उससे एक गैहू की डाल बनाने को कहते है। 


कुछ दिनों बाद। ... 


बीरबल दरबार में जाते है। अकबर बीरबल को देख कर काफी क्रोधित हो जाते है। कहते है हमने तुम्हे यहां आने से मना किया था पर फिर भी तुम यह  गए। 


बीरबल- हज़ूर में मानता हु। परन्तु राज्य की भलाई की बात होगी तो मुझे आना ही पड़गा। मुझे एक ऐसी चीज़ मिली है। जो सल्तनत को काफी आमिर बना देगी। 


बीरबल फिर अकबर को सोने की डाल दीखते है। बीरबल बताते है मेरे गुरु ने कहाँ है ,अगर हम इस सोने की डाल को किसी खेत में बोते है तो ,वह सोने का खेत बन ज्यागा। 

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अकबर - क्या तुम्हे यकीन है। 


बीरबल - हज़ूर यह कोई आम ज्योतिषी नहीं है। मुझे यह डाल दे कर वह तालाब के ऊपर से चल कर  दूसरी तरफ चले गए। 


अकबर - कल सवेरे उपजाऊ ज़मीन देख कर इससे बोते है। 


ऐसा कह कर अकबर अपने महल की तरफ चले जाते है। 


अगली सुबह अकबर बीरबल और सभी नगर वासी खेत पर पहुंचते है। 


अकबर - जाओ बीरबल बोअ दो सोने की डाल  को। 


बीरबल - नहीं हज़ूर में नहीं कर सकता। इस डाली को वही बो सकता है जिसने कभी झूठ नहीं बोलै हो।  आप तो जानते है में कई बार झूठ बोल चूका हु। 


अकबर- सभी नगर वासिओ  कहते है , आप मेसे कोई आगे आये और इस बाली को बोये। 


सभी मुँह निचे कर के खड़े हो जाते है। 


बीरबल - मुझे लगता है आप ही इसकी बुआई कर सकते है। 


अकबर इधर उधर देखने लग जाते है। 


बीरबल कहते है जनाब  में झूठ बोल रहा था। यह सोने की बाली जादुई नहीं है। यह मेने एक जोहरी से बनवायी थी। 


आप समझ गए होँगे हर किसी को कभी न कभी झूठ बोलना पड़ जाता है। 


अकबर कहते है हम समझ गए बीरबल। 


अकबर बीरबल से माफ़ी मांगते है।  कहते है तुमने सचाई बोली फिर भी हमने तुम्हे सजा दी। 


अकबर उस सेवक को भी वापिस राज्ये में बुलवा लेते है। 

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