जादुई नाग एक पंचतंत्र की कहानी
जादुई नाग -पंचतंत्र की कहानी
दोस्तों आज में आपको पंचतंत्र की कहानी सुनुँगा जिसका नाम है जादुई काला नाग। आशा है आपको मेरी यह पंचतंत्र की कहानी पसंद आएगी।
एक गांव में दो बहने रहती थी। एक का नाम था प्रिया और दूसरी का नाम था सिया। दोनों अपनी माँ के साथ सुख से रहती थी।
दोनों बहनो को आपस में बहुत ज्यादा प्रेम था। वह साथ में घूमती थी, खेलती थी, खाना पीना सब एक साथ ही किया करती थी।
एक दिन दोनों बहने ने सोचा आज जंगल में जा कर खेलते है। जब वह दोनों जाने को तैयार होती है। तभी उनकी माँ उन्हें पुकारती है।
प्रिय और सिया आज जंगल चलो वहाँ से फल तोड़ के लाने है।
प्रिय - अरे आज तो भगवान ने हमारी बात सुन ली।
सिया - आज तो बहुत मज़ा आएगा। जंगल , मज़े आ गए।
माँ - ले जा रही हूँ। पर तुम दोनों वहाँ पर कोई मस्ती नहीं करोगी। में तुम्हे कुछ काम सिखाने ले जा रही हूँ।
दोनों माँ की बात मान लेती है। माँ और बेटियाँ जंगल के लिए निकल पड़ते है।
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कुछ दुरी पर दोनों को कबूतर और चिड़या नज़र आती है। दोनों बहने रास्ता छोड़ कबूतर के झुंड के पास चली जाती है।
दोनों कबूतर के साथ खेलने लगती है। यह देख माँ को गुस्सा आता है और वह दोनों को लड़ने लग जाती है।
दोनों बहने वापिस आ जाती है। कुछ समय बाद तीनो जंगल में पूछ जाती है। माँ उन्हें फल तोड़ने के तरिके सीखती है।
कुछ समय बाद दोनों बहने बहुत सारे फल तोड़ लाती है।
तीनो वापिस घर आ जाते है। माँ बहुत खुश होती है। वह कहती है कल में इन फल को पास के गांव में बेच आऊंगी।
सिया माँ के साथ चलने को कहती है। माँ मना कर देती है।
अगली सुबह माँ चली जाती है ,प्रिय सिया से जंगल में जा के खेलने को कहती है। दोनों बहने जंगल के लिए निकल पड़ती है।
जंगल में दोनों बहने चिडया , खरगोश और हिरण के साथ बहुत देर तक खेलती है।
खेलते हुए दोनों की नज़र एक काले नाग पर पड़ती है। जो एक पेड़ की टहनी में फसा हुआ था। दोनों बहने नाग को आज़ाद कर देती है काला नाग वहाँ से चले जाते है।
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दोनों बहने दुबरा खेल में मगन हो जाती है। काफी समय खेलने के बाद दोनों आराम करने पेड़ के नीचे बैठ जाती है। दोनों कब सो जाती है उन्हें पता नहीं चलता।
दोनों की आंख रात में खुलती है। दोनों घबरा जाती है और जल्दी जल्दी घर के लिए निकल पड़ती है।
रास्ते में उन्हें झाड़ी के पीछे कुछ रोशनी नज़र आती है। दोनों रौशनी का पीछा करती है। जब वह रौशनी के नज़दीक पूछती है दोनों डर जाती है।
यह रौशनी काला नाग के माथे से आ रही थी। दोनों वहाँ से भागने की क़ोशिश करती है। तभी काला नाग बोलता है डरो मत में वही नाग हु जिसकी मदद तुम दोनों ने सुबह की थी।
सिया कहती है आपके सर पे यह मणि कैसी है। वह कहते है में एक जादुई नाग हूँ इस लिए मेरे पास यह मणि है।
जादुई नाग बोलता है तुमने मेरी मदद की इस लिए में तुम्हे एक इनाम दूंगा। जहाँ तुम खड़ी हो उस जगह को खोदो वहाँ तुम्हे ढेर सारे सोने के सिक्के मिलेंगे।
मेरी मदद करने का एक छोटा सा इनाम है। परन्तु यह इनाम तुम्हे तभी मिलेगा जब तुम वादा करो, की मेरे बारे में किसी को कुछ नहीं बताओगी।
दोनों वादा करती है और सोने के सिक्के ले कर घर आ जाती है। सिक्के वह अपनी माँ को दे देती है।
माँ पूछती है तो दोनों झूठ बोलती है की एक राजा ने उन्हें दिए है।
माँ उन सिक्के से बड़ी फल की दुकान खोलती है। और उनके घर में ख़ुशी की लहर आ जाती है।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको पंचतंत्र की कहानी। आशा है आपको जादुई नाग की कहानी पसंद आयी होगी।
1 टिप्पणियाँ
good story
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