चित्रकार की व्यथा

चित्रकार की व्यथा -

शहंशाह अकबर बहुत गुस्से वाले थे। छोटी छोटी बातो पर वह दुसरो को सजा दे देते थे। बीरबल यह बात जानते थे। वह कुछ ना कुछ तरकीब लगा कर शहंशाह का गुस्सा शांत कर देते थे। 

एक दिन शहंशाह अकबर अपने कमरे में बैठ कर कुछ विचार कर रहे थे। तभी वह सिपाही को बुलाते है और पूछते है। 

अकबर -सिपाही हमारे कमरे का रंग हरा किसने चुना।
सिपाही - डरते हुए जवाब देता है। जनाब आपने ही चुना था। 
अकबर - हम ऐसा रंग चुन ही नहीं सकते।  जाओ जिसने भी इस कमरे को रंगा है उसे हमारे सामने प्रस्तुत करो। 

सिपाही चित्रकार को ले के आता है। 

अकबर - ओह आ गए तुम। 

चित्रकार - मुझ से क्या गलती हुई जहाँपना। 

अकबर - तुम्हे नहीं पता तुमने क्या गलती की।  यह देखो दीवारे इस दीवार का रंग हमे बिलकुल पसंद नहीं आया। 

चित्रकार - हज़ूर में पूरी रात काम कर के इस कमरे का रंग बदल दूंगा। 

अकबर - जाओ अपने सभी रंग ले के आओ हमे जो पसंद आयंगे। इस बार वही रंग दिवार पर होने चाहिए। नहीं तो तुम्हे वह सारे रंग पिने होँगे। 

चित्रकार  अपने सभी रंग अकबर को ला कर दीखता है। अकबर उनमे से एक रंग का चुनाव करते है। रंगरेज पूरी रात मेहनत कर के पुरे कमरे में रंग करता है। 

अगली सुबह अकबर अपने कमरे में आते है। अपने कमरे का रंग देख कर अकबर बहुत जयदा गुस्सा होते है। वह तुरंत सिपाही को रंगरेज को बुलाने का आदेश देते है। 

चित्रकार आता है।  अकबर उसको आदेश देता है।  जाओ अपने सभी रंग ले कर आओ। 


रंगरेज जल्दी जल्दी जाता है जाते हुए वह बीरबल से टकरा जाता है बीरबल उनसे जल्दी का कारण पूछते है। चित्रकार उन्हें सब कुछ बता देते है। 

बीरबल रंगरेज से कहते है। अगर अकबर ने कहाँ है तो वह पक्का तुमसे रंग पिलवायंगे। परन्तु में तुम्हे एक तरकीब बता रहा हु वह तुम अनुसरण करना। 

चित्राकर रंग के मटके ले कर अकबर तक जाते है। अकबर उन्हें आदेश देते है। इन सभी रंग को पि जाओ। 

चित्रकार सभी रंग को पी जाते है। अकबर उसे रोक देते है और कहते है अगली बार ध्यान देना। 

अकबर मन ही मन सोचते है। इतना रंग पिने के बाद यह २ दिन तक बीमार रहेगा। 

अगले दिन अकबर सोच में पड़ जाते है। चित्रकार अभी भी काम कर रहा था। 

अकबर चित्रकार को बोलते है और कहते है तुमने अभी तक अपना काम खत्म नहीं किया। जाओ अपने रंग दुबरा लाओ। 

रंगरेज बीरबल को ढूढ़ते है। उनसे फिर से मदद मांगते है। बीरबल उन्हें फिर एक तरकीब बता देते है। 

चित्रकार रंग के मटके ले आता है अकबर फिर दुबरा उसको रंग पिने को कहता है। चित्रकार रंग पिने लगता है। 

अकबर उसको रोक कर रंग के मटके के द्रवेय को जांचते है। उन्हें जाँच में पता चलता है यह रंग नहीं बल्कि शरबत  है। 

अकबर उससे पूछते है मेरे साथ फरेब। बताओ यह तरकीब तुम्हे किसने बताई। 

बीरबल आते है और कहते यह योजना मेने बतई थी हज़ूर। अकबर कहते है मुझे समझ जाना चाहिए था। 

अकबर कहते है तुम्हे कैसे पता चला में इसको कोनसे मटके का रंग पिने को कहूँगा। बीरबल कहते है हज़ूर मुझे नहीं पता था। मेने इसको सभी मटको में शरबत लाने कहाँ था। 

अकबर बीरबल को शाबाशी देते हुए कहते है। बीरबल जितना बुद्धिमान कोई नहीं। 

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