बुद्धिमान चायवाला पंचतंत्र की कहानी

बुद्धिमान चायवाला पंचतंत्र की कहानी-

एक गांव में एक चायवाला रहता था। वह दिन रात बहुत मेहनत करता था। परन्तु चाय  काफी सस्ती होती है। इसलिए वह ज्यादा पैसे नहीं कमा पाता था। 


अगर चायवाले की कभी कमाई भी हो जाये तो उसके कुछ मुफ्तखोर दोस्त आ जाते थे। दोस्ती की वजह से वह उन्हें चाय पिला देता था। 


कभी कभी कोई भिखरी आ जाता था। चायवाला उसे भी मुफ्त में चाय पिला देता था। इसी वजह से उसे बहुत घाटा हो रहा था।


चाय की रेहड़ी एक ऐसी जगह होती है जहाँ पर लोग अपने दुःख दर्द बाटते है। चायवाला सबके दुःख दर्द को ध्यान से सुनता था। 


एक दिन दो दोस्त आपस में बाते कर रहे थे। चायवाला उनकी बाते सुन रहा था। 


रामु - क्या हुआ भीमा आज बहुत दुखी दिख रहे हो। 

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भीमा - यार कुछ नहीं , मेरी बीवी की तबियत बहुत खराब है और डॉक्टर के पास जाने को पैसे नहीं है। 


रामु - यार, मेरी तनखा अभी नहीं आयी है। एक काम करो चायवाले से माँग के देखो। 


भीमा - नीरज भाई , क्या आप मुझे 1000 रुपये दे सकते है। में आपको 2 दिन बाद दे दूंगा। 


चायवाला - ठीक है। और वह दे देता है। 


2 दिन बाद भीमा आ कर ,नीरज के पैसे वापिस कर देता है। नीरज अभी अपने पैसे रखने ही वाला होता है। इतने में एक आदमी आता है और नीरज से 300 रूपए की मदद मांगता है। 


नीरज उसकी भी मदद कर देता है। अगले दिन वह व्यक्ति नीरज के पैसे वापिस कर देता है। 

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कुछ समय बाद एक और व्यक्ति आता है। वह नीरज से कहता है। भाई मेरी मदद कर दो। मेने सुना है आप सभी की मदद करते हो। प्लीज मुझे 2000 रूपए दे दो। 


चायवाला - भाई मेरे पास इतने पैसे नहीं होते है। मेने भीमा की वैसे ही मदद की थी। 


वह व्यक्ति रोने लगता है। उस पर दया कर के नीरज उसे 2000 रूपए पकड़ा देता है। 


कुछ दिनों बाद वह व्यक्ति उसे २000  की बजाए 2500 रूपए पकड़ा देता है। 


चायवाला - भाई यह जयदा रूपए दे दिए अपने मुझे। 


व्यक्ति - कोई नहीं नीरज भाई। यह आपका इनाम है मेरी एन मोके पर मदद करने के लिए। 


नीरज उन पैसो को रख लेता है। 


रात में चायवाला वाला सोते समय बुद्धि लगता है। वह सोचता है अगर वह लोगो की इसी तरह मदद करता रहे और लोग उसे ऐसे ही एक्स्ट्रा पैसे देते रहे तो उसके पास कमाई का अतरिक्त साधन हो जायगा। 


फिर चायवाला सभी की बाते ध्यान से सुनता है। कुछ उसे मदद मांगते और कुछ को वह खुद से मदद की पैसकाश करता। 


धीरे धीरे उसका यह रोजगार चल गया। उसकी चाय की छोटी सी दुकान अब एक बड़ी दुकान में बदल गयी। 


अब उसका मुख्य रोजगार लोगो को पैसे दे कर मदद करना हो गया। 


चायवाले का स्वाभाव इतना अच्छा था। लोगो उसको पसंद करने लगे सभी आसपास के गांव में उसका नाम हो गया। 


गांव के मुख्या का चुनाव हुआ वहाँ पर भी नीरज चायवाला को मुख्या बनया गया। 


सीख -  जिंदगी सभी को आगे निकलने का एक मौका देती है। अगर व्यक्ति उस मोके को भुना ले और अपनी बुद्धिमानी का उपयोग करे तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं सकता। 


दोस्तों आपको मेरी बुद्धिमान चायवाले की कहानी कैसी लगी। अगर आप ध्यान से इस कहानी को पढ़ते है तो आपको यह कुछ हमारे प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी की जीवन कहानी जैसी लगती है। 

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