काला चीता और बगुले

काला चीता और बगुले -

आज में आपको एक नई पंचतंत्र की कहानी जिसका नाम है काला चीता और बगुला सुनाने जा रहा हु। आशा है आपको पसंद आएगी। 


एक जंगल में एक काला चीता और बगुला रहा करते थे। बगुला एक तालाब में अपना जीवन यापन कर रहे थे। उनके कुछ बच्चे भी थे। परन्तु एक काला चीता उनके बच्चे ले जाता था और उन्हें खा जाता था। 


बगुलों ने एक मीटिंग बुलाई। उनका सरदार मीटिंग में कहता है ,काफी समय से एक काला चीता हमारे बच्चे उठा ले जाता है। 


यह हमारे समाज के लिए बिलकुल भी सही नहीं है हमे इस काले चीता  का कोई समाधान ढूंढ़ना ही होगा। 


कुछ बगुले कहते है हम क्या कर सकते है। वह काला चीता बहुत ताकतवर हे हम उसका क्या बिगड़ सकते है। 


सरदार कहता है अपने आप को कमजोर मानना ही सबसे बड़ी कमजोरी है। अगर हम सब एक हो जाये तो उस काले चीते का पक्का सामना कर सकते है। 

Also,read- Sher or budiya

सभी बुगले योजना सोचते है तभी उन्हें एक योजना सूझती है। सरदार उस योजना को समझता है। 


वह कहता है काला चीता कभी अपने शिकार को खाता नहीं है बल्कि उसे पेड़ के ऊपर छुपा देता है। ताकि वो बाद में आराम से खा सके। 


सरदार कहता है में सोच रहा हु हम सभी उड़ कर उसके शिकार को नीचे गिरा देंगे। नीचे खड़े  लकड़बगे उसे झपट लेंगे और काला चीता भूखा रह जएगा।


बुगलो ने लकड़बगे को यह योजना बतई वह मान गए। 


अगले दिन काला चीता शिकार करके वापिस आया और अपना भोजन पेड़ पर रख दिया। बगुलों ने वह भोजन नहीं गिरा दिया और लकड़बगो ने वह खा लिया। 


यह चीज़ २,३ दिन चली। काला चीता भोजन लाता और बगुले उसे गिरा देते थे। 


काला चीता भूख की वजह से कमजोर हो गया। उसने लकड़बगो को उसका भोजन खाते देखा परन्तु वह इतना कमजोर हो गया की वह अपना खाना तक नहीं छुड़वा सकता था। 


फिर भी उसने एक लकड़बग्घे को पकड़ लिया और उसे पूछा यह बताओ मुझे मेरा खाना तुम्हे कौन देता है। डर की वजह से उसने सारी बात उगल दी। 


यह बात पता लगते ही चीता बगुलों के पास गया और उन्हें चेतवानी दी। अगली बार ऐसा किया तो तुम लोगो के लिए ठीक नहीं होगा। 


चेतावनी का बगुलों पे कोई असर नहीं हुआ वह फिर भोजन गिरा देते और लकड़बगे उसे खा जाते। 


तेंदुआ तंग हो कर शेर के पास गया और सारी कहानी बतई। शेर ने बगुले से पूछा तुम क्यों ऐसा कर रहे हो। वह अगर खएगा नहीं तो भूख से मर ज्यागा। 


सरदार जवाब देता है। जब हमारे बच्चे तालाब किनारे खेलते थे तो यह तेंदुआ हमारे बच्चे क्यों खा जाता था। 


 बगुला की बात सुन काला चीता आग बबूला हो जाता है। वह बोलता है शिकार करना मेरा स्वाभाव है। 


सरदार बोलता है तो भूखे रहना भी तुम अपना स्वाभाव बना लो। हम तुम्हे तुम्हारा भोजन नहीं करने देंगे। 


तेंदुआ बहुत गुस्सा हो जाता है। शेर दोनों का बीच बचाव करवाता है। शेर तेंदुआ से कहता है तुम चाह के भी बगुलों का कुछ नहीं कर सकते। 


इनसे दोस्ती करो इसी में समझदारी है। तुम उनके बच्चों को नुकसान नहीं पोहचाओगे और वह तुम्हारे भोजन नहीं गिरायेंगे।


इस प्रकार तुम दोनों खुश रह सकते हो। तेंदुआ समझ गया उसके हाथ में कुछ नहीं है और वह शेर की बात मान लेता है। 


काला चीता और  बगुला  हिंदी  कहानी से यह पता चलता है अगर हम मिल कर किसी मुसीबत का सामना करे तो वह हमारे सामने ज्यादा समय तक टिक नहीं सकती है। 

0 टिप्पणियाँ