गरीब की बेटी

 गरीब की बेटी -

दोस्तों आज में आपको एक बहुत ही दिलचस्प कहानी सुनुँगा। जिसका नाम है गरीब की बेटी।  


एक दिन गरीब घर की लड़की अंशिका अपनी माँ सरोज के साथ जा रही थी। रास्ते में उन्हें एक चाय की दुकान नज़र आती है। 


माँ सरोज चायवाले से कहती है। भैया में बहुत दूर गांव से आयी हूँ। मुझे अपनी  बेटी का पेट भरना है।  कृपया मुझे अपनी दुकान में नौकरी दे दे। 


चायवाला - बहना, मेरे यहाँ  पर कोई काम नहीं है। में तुम्हे पैसे भी नहीं दे पाउँगा तुम कही और पर काम ढूढ़ लो। 


सरोज - भैया में आपकी दूकान में कुछ भी कर लुँगी। बर्तन भी मांज दूंगी। मुझे पैसे नहीं चाहिए आप बस मुझे और मेरी बेटी को खाने को दे देना। 


चायवाला - अच्छा  ठीक है। वैसे तुम यहाँ इस शहर में क्या कर रही हो। 


सरोज - अंशिका  के  पिता के गुजर जाने के बाद। परिवार वालो ने मुझे और बेटी को धक्का मार कर बहार निकाल दिया। इसी वजह से में यहाँ इस शहर में आयी हु। 


चायवाला - ठीक है बहना। तुम यहाँ काम कर सकती हो। 

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सरोज दिन रात एक कर के काम करती थी। वह अपनी बेटी का पेट तो भर देती थी परन्तु उन्हें सड़क पर ही सोना पड़ता था। 


चायवाले से यह नहीं देखा गया। उसने एक बहुत बड़े बिजनेसमैन अलोक से बात की और सरोज और उसकी बेटी को अलोक के घर में काम पर लगवा दिया। 


अलोक के घर में उसकी बीवी और बेटी रहती थी। 


अलोक की बीवी - सरोज तुम्हे मन लगा के काम करना है और याद रखना तेरी बेटी मेरी बेटी भावना से दूर रहे। अगर तेरी बेटी की वजह से मेरी बेटी बीमार हुई तो में तुझे तभी काम से निकाल दूंगी। 


सरोज - जी मैडम। ध्यान रहेगा। 


सरोज ने घर में काम शुरू कर दिया। एक दिन उसको अलोक की बीवी की आवाज आयी। जब वह बहार आयी। उसने देखा अंशिका के हाथ में भावना की ड्रेस है। जिसे वह उल्ट पुलट के देख रही थी। 


अलोक की बीवी - अंशिका  तुझे तेरी माँ ने समझया नहीं की मेरी बेटी और उसके सामान से दूर रहना है। 


सरोज - मैडम जी माफ कर दीजिए।  आगे से ऐसा नहीं होगा। 


अलोक की बीवी - ध्यान रखो। आगे से तुम्हारी बेटी मेरी बेटी के किसी सामान को नहीं छुएगी। 


एक दिन अलोक की बीवी सरोज को ले कर बाजार जाती है। घर पर अंशिका और भावना अकेले रह जाते है। अचानक भावना को चक्कर आने लगते है। वह जमीन पर गिर जाती है। 


अंशिका यह देख कर उसके पास भाग कर आती है। उसे बहोश देख वह पानी लाती है और उसके चेहरे पर छींटे मारती है। 


वह उसके हाथ मलने लगती है परन्तु भावना नहीं उठती है। अंशिका बहार भाग कर जाती है। और पड़ोस के अंकल को ले आती है। 


अंकल ने भावना के पापा को कॉल किया और डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने भावना को इंजेक्शन दिया। तब तक सरोज ,अलोक और उसकी पत्नी भी आ चुके थे। 


डॉक्टर - अचानक पानी की कमी होने से B.P low  हो गया था। अगर मुझे टाइम पर नहीं बुलाया होता तो कुछ भी हो सकता था। 


 अंकल - इसका श्रेय इस बच्ची को जाता है। अगर यह मुझे नहीं बताती तो में डॉक्टर साहब को नहीं बुला पाता। 

 

भावना की माँ को अपनी गलती का एहसास हो जाता है। वह अब अंशिका और भावना को आपस में खेलने से नहीं रोकती थी। 


दोस्तों इस कहानी से यह सिख मिलती है। हमे कभी भी गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए। हमे केवल  एक चीज़ देखनी चाहिए वह है इंसान। 


दोस्तों आपको गरीब की बेटी की कहानी किसी लगी। कृपया कमेंट कर के बताये। 

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