सोमवार, 29 मार्च 2021

गधे की काली जुबान पंचतंत्र की कहानी

गधे की काली जुबान पंचतंत्र की कहानी

गधे की काली जुबान पंचतंत्र की कहानी-


दोस्तों  हम सभी जानते है शेर जंगल का एक राजा होता है। उसे सभी सलाम करते है। जंगल के सभी जानवर शेर की जयजयकार करते है। 


एक दिन एक गधे की टोली उस जंगल में आती है। उन सभी में से एक गधा के बारे में यह बात फेल गयी उसकी जबान काली है। वह जो भी कहता है वह सच हो जाता है।


इस बात की वजह से कोई उससे पंगा नहीं लेता है। और इसी बात से उसे बहुत घमंड हो जाता है। 


नियम था उस गधे को शेर को सलाम मारने आना था परन्तु वह नहीं आया। तब भालू गधे के पास जाता है ,


भालू - गधे तुमको शेर को सलाम  मारने आने था क्यों नहीं आये तुम। 


 गधा - में एक गधा हु। मुझे दुलती मारना आता है। सलाम मरना हमने नहीं सीखा। 


भालू - देख लो गधे। शेर को यह बात पसंद नहीं आएगी। 


 गधा - चल जा। पहले तू अपना सर तो सभाल।, कहि तेरा सर पेड़ की डाल से न फुट जाये। 


इतना कहते ही एक पेड़ की डाल  भालू के सर पे गिर पड़ती है। 


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गधा - अब यहां से निकल लो।  कहि तुम्हारे हाथ पैर भी टूट जाये। अपने शेर से कह देना अगर उसको मेरा सलाम चाहिए तो मेरे पास आना होगा। 


भालू सारी कहानी शेर को बता देता है।  शेर को गुस्सा आ जाता है। शेर अपने सेनापति बंदर को हुक्म देता है। जाओ और उसे यह पेस करो। 


बन्दर जाता है और गधे को पककड़ लाता है। गधा शेर को देख कर अपनी डुलती झड़ने लगता है। शेर बहुत गुस्सा होता है। 

 

शेर- गधे तुम्हारी यह जुर्रत हमे सलाम की बाजए। हमे दुलती  दिखा रहे हो। इस बात की तुम्हे सजा मिलेगी। 


गधा- शेर जी हमारी प्रजाति में दुलती को सलाम मारना कहते है। आप सजा सुनायगे उससे पहले कहि आपकी जुबान ना काट जाये। 


शेर जैसे ही सजा सुनाने लगता है उस समय उसकी जुबान सच में कट जाती है। 


सभी लोग आपस में कहने लगते है। सच में इस गधे की जुबान काली है। तभी लकड़बगा कहता है। 


लकड़बग्गा- सब अफवा है। में अभी इसको अपने दांतो से काट खाऊंगा।


गधा - देख ले। कहि तेरे दाँत  ही न टूट जाये। 


लककड़बग्गा - चल हट। मेरे दात सबसे मजबूत है। तुझे तो में कच्चा ही चबा जाउगा। 


लकड़बगा गधे को काटने लगता है तभी उसके दांत टूट जाते है। 

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शेर - लगता है। आज यह गधा हमारा ही शिकार बनेगा। 


गधा - शेर संभाल के कहि तुम ही किसी मुसीबत के शिकार न बन जाओ। 


शेर जैसे ही गधे पर झपटा है वह जमीन  पर चक्कर खा के गिर जाता है। 


गधा - अगर तुम सभी अपनी सलामती चाहते हो तो मुझे सलाम मारो। 


सभी गधे को सलाम मारते है। 


गधा - अगर आप सभी सहमत है तो में शेर की जगह पर बेठ जाऊ। 


बंदर - ऐसा कैसे हो सकता है। वह शेर महाराज की जगह है। 


गधा - अच्छा। तो बंदर जी आप तब तक पेड़ पर चढ़ते और उतरते रहो जब तक आपका एतराज  न खत्म हो जाये। 


बंदर सच में ऐसा करने लग जाता है। 


गधा अब पुरे जंगल पर राज करने लगता है। जो भी आता वह गधे को सलाम मरता। 


फिर कुछ दिनों बाद शेर का मंत्री सियार जो अपने गांव गया हुआ था वापिस आता है। वह सारी बात पता करता है। सियार अपनी चतुराई लगता है।  वह एक फरमान ले कर दरबार में आता है। 


सियार - शेर जी जय हो। तब वह गधे को देख कर कहता है। तुम कौन  हो। 


गधा - में यहां का नया राजा हु। बोलो क्या काम है। 


सियार - यह फरमान पढ़वाना था। पर आप तो अनपढ़ ग्वार लगते हो। शेर जी से पढ़वाता में तो। 


गधा - चीड़ के , अरे में पढ़ा लिखा हु।  दिखा में पढ़ता हु।  


गधा पढ़ता है। में अपने बारे में कहता हु।  दो तगड़े सांड आये और मुझे मरते हुआ ले जाये। और में यह कभी वापिस न आ पाऊ। 


यह पढ़ते ही दो गोरिल्ला आते है। गधे को धोते हुआ ले जाते है। 


शेर सियार की चतुराई से खुस हो जाता है और सारा जंगल चैन की सास लेता है। 

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शुक्रवार, 19 मार्च 2021

चालाक बकरी की हिंदी कहानी

चालाक बकरी

चालाक बकरी  -

दोस्तों आज में आपको एक बहुत  शिक्षाप्रद कहानी सुनाऊंगा जिसका नाम है चालाक  बकरी। 


एक छोटे से गांव में एक नानू नाम की बकरी रहती थी। उसके चार बच्चे थे। वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती थी। परन्तु उसको हमेसा एक ही चिंता रहती थी की पास के जंगल से कोई जानवर आकर उसके बच्चो को नहीं खा जाये। 


वह अपने बच्चो को जंगल और उसके जानवर के प्रति जागरूक करती थी। एक दिन बकरी का सबसे छोटा बच्चा किसान के बेटे की बात सुनता है। 


किसान का बेटा अपने पिता को बताता है जंगल में बहुत सारी हरी घास है। बच्चा यह सुनकर जंगल की तरफ भागता है। माँ को यह बात पता लगती है तो वह चिंता में आ जाती है। 

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बच्चा कुछ ही दूर जाता है तो उसे कुछ हायना घेर लेते है। उन्हें देख बच्चा डर जाता है और अपनी माँ को बुलाने लगता है। यह सुनकर हायना जोर जोर से हसने लगते है। 


उनमे से एक सियार बोलता है। कितना अच्छा भोजन है। आज रात तो हमारी दावत होगी। 


बकरी भी वहाँ पर पोहोच जाती है। हायना कहते है आज तो डबल पार्टी होगी। बेटे के साथ माँ भी आज रात का डिनर बनेगी। 


बकरी बोलती है। ज्यादा मत हसो। शेर राज आ गए तो तुम चारो को खा जयँगे। तुम्हे क्या लगा मने अपने बच्चे को यहाँ युही  छोड़ा हुआ है। 


शेर जी का हुकुम है जब तक में नहीं आउ तब तक तुम लोग यहाँ से नहीं जाओगे। 

अगर तुम लोगो ने हमे खाया तो वह तुम सबको खा जयँगे। 


सियार - उसे कैसे पता लगेगा। हमने तुम्हे खाया है। 


बकरी - तुम लोगो ने शेर को पागल समझा है। वो देखो बंदर को यहाँ हमारी निगरानी के लिए रखा है। 


सियार यह सुनकर चिंता में आ जाते है। वह लोग आपस में डिस्कशन करते है और निर्णय लेते है इन लोगो को छोड़ो। नहीं तो शेर हमे खा जायगा। सियार वहाँ से जाने लगते है। 


बकरी जल्दी जल्दी बच्चो को ले जाती है। तभी रस्ते में उसे शेर मिल जाता है। 


बकरी - शेर जी रुकिए नहीं तो शेरनी नाराज़ हो जायगी। 


शेर -कहाँ  है शेरनी। तुम खुद को शेरनी समझ रही हो। 


बकरी - नहीं , में आपकी शेरनी की बात कर रही हु। उन्होंने कहाँ था। जब तक में ना आउ तब तक तुम यही रुकना। में तुम दोनों को अपने शेर को दूंगी। 


शेर - क्यों झूठ बोल रही हो। 


बकरी - मत मानो। बाद में शेरनी गुस्सा करे तो मुझ से नहीं कहना। यकीन नहीं है तो उस कवै से पूछ लो। 


यह सुनकर शेर एक बार सोच में पड़ जाता है। पर बीवी के डर से वह उन दोनों को छोड़ देता है। 


बकरी बच्चे को ले कर कुछ दूर ही जाती है तभी उसे आगे से एक शेरनी दिखयी देती है। शेरनी उन दोनों को पककड़ लेती है। 


बकरी - शेरनी जी हमे छोड़ दो नहीं तो शेर जी गुस्सा हो जयँगे। 


शेरनी - क्यों ,वो मेरा पति है या तेरा। 


बकरी - पति तो वह आपके है। परन्तु उन्होंने आपको सरप्राइज करने के लिए प्लेन बनया था। उन्होंने हमे यही खड़े रहने को कहाँ था। वह कह रहे थे जैसे ही शेरनी आ जायगी ,तब में दोनों का शिकार कर के शेरनी को दूंगा। 


शेरनी -तुम भाग गयी तो। 


बकरी - चिंता नहीं करे। शेर जी ने रैबिट को मेरी निगरानी में रखा है। 


शेरनी - यह सुनकर बहुत खुस हो जाती है। और हस्ती नाचती चली जाती है। 


 बकरी बच्चे को ले कर सीधे किसान के घर पोहच जाती है वहाँ बच्चे पूछते है। माँ आप जंगल गयी थी वहाँ से कैसे बच कर आये ,


बकरी - बच्चो अगर आपके पास दिमाग, धैर्य और सब्र है तो आप किसी भी मुश्किल परिस्तिथि का सामना कर सकते है। 


तो दोस्तों यह थी चालाक बकरी की कहानी। 

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गुरुवार, 11 मार्च 2021

बंदर और शेर की दुश्मनी - नैतिक शिक्षा की कहानी

बंदर और शेर की दुश्मनी

बंदर और शेर की दुश्मनी -  

आज हम आपको सुनाएँगे बंदर और शेर की दुश्मनी की रोचक कहानी। 


एक पहाड़ी पे कुछ बंदर का समूह रहता था। एक दिन वहाँ  पर एक शेर रहने के लिए आ गया। उसने पहाड़ी की एक गुफा पर अपना कब्जा जमा लिया। 


शेर के आ जाने से बंदर को परेशानी हो गयी। शेर अपनी गुफा में अपने अस्सिटेंट लोमड़ी के साथ खुश था। 


एक दिन बंदर का सरदार शेर के पास शिक़ायत करने पोहच गया। 


सरदार - शेर जी आपके आने से सभी बंदर परेशान है। कृपया आप यहाँ से चले जाये। 


शेर- कहाँ जाऊ। 


सरदार - राजा सहाब आप अपने पिछले ठिकाने पर चले जाये। 


लोमड़ी - हम यहाँ से क्यों जाये। सभी को पता है शेर जहाँ चाहे वहाँ पर रह सकते है। हम लोग यही रहेंगे। तुम लोग अपने पेड़ पर वापिस चले जाओ। 


सरदार - नहीं ,तुम लोग यहाँ से अभी निकल जाओ। 


शेर- रुक जाओ। तुम लोगो को पता भी है किसे जाने को कह रहे हो। एक पंजे में सभी यही जमीन पर गिरे पाओगे। पर में एक अच्छा राजा हु में तुम्हे तब तक दुःख नहीं दूंगा जब तक तुम मुझे नहीं दोगे।


सरदार - लेकिन हमारे उछल कूद से आप लोगो को तकलीफ होगी। 

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लोमड़ी - नहीं होगी। तुम लोग यहा से जाओ। 


बंदर शेर को पहाड़ी पर नहीं रहने देना चाहते थे। उन्होंने एक मीटिंग बुलाई और शेर को भगाने की योजना रची। 


बंदर कभी पथर नीचे गिराते। कभी शेर की पूछ में रस्सी बांध देते। 


शेर अपनी सुविधा के लिए। गुफा के बहार पानी रखवा ता था। बंदर उस पानी को पहाड़ी के निचे गिरा देते थे। 


शेर पानी नहीं पा कर लोमड़ी को लड़ देता है। अगले दिन लोमड़ी फिर पानी ला कर गुफा के  बहार रख देता है। बंदर फिर दुबरा उस पानी को पहाड़ी के निचे गिरा देते है। 

  

शेर लोमड़ी को फिर लड़ता है। परन्तु इस बार शेर समझ गया था दाल में कुछ काला है। 


अगले दिन लोमड़ी फिर पानी ला कर रख देता है। इस बार शेर चुप कर देखता है उसका पानी कौन गायब करता है। 


शेर देखता है बंदर उसका पानी पहाड़ी से नीचे गिरा रहे है। 


लोमड़ी शेर से कहती है। शेर जी आज आप इनको सबक सिखाये। शेर कहता है नहीं देखते है यह लोग कब तक पानी पहाड़ी से नीचे गिराते है। 


यह सिलसिला बहुत दिनों तक चला। बंदरो ने नोटिस किया शेर उन्हें यह करते देखता है पर उन्हें कुछ नहीं कहता है। 


एक दिन इस बात से परेशान हो कर बंदरो ने शेर के पास जाने का निर्णय लिया। 


 बंदर और सरदार शेर के पास जाते है। 


सरदार - शेर सिंह जी हम सभी बहुत परेशान है। 


शेर- क्यों परेशान हो। मैंने तो कुछ नहीं किया तुम लोगो के साथ। 


बंदर -  आप परेशान नहीं हुआ हम लोग इसलिए ही परेशान है। हम पिछले 20 दिन से आपके पिने का पानी पहाड़ी से नीचे गिरा देते है। आप हमे देखते भी है।  परन्तु फिर भी आप हमे कुछ कहते नहीं। 


हम लोग आपका कितना नुकसान करते है। फिर भी आप हमे कुछ कहते ही नहीं है। 


शेर - तुम लोग मेरा नुकसान नहीं फायदा करते हो। 


बंदर - फयदा। हम लोग कैसे फायदा करते है। 


शेर - तुम लोगो ने देखा नहीं आजकल में जल्दी शिकार कर के आता हु। यही मेरा फायदा  है। 


बंदर -वह कैसे। 


शेर - तुम लोग जो रोज नीचे पानी गिराते हो। उसे निचे बहुत सारी घास पैदा हो गयी है। जिसे जानवर खाने आते है। में उनका आसानी से शिकार कर देता हु। 


शिक्षा - अगर कोई हमारा नुकसान करता है तो हमे उस नुकसान से बचना का रास्ता ही नहीं बल्कि उसे होने वाला  फायदा भी ढूढ़ना चाहिए। 


तो दोस्तों आशा है आपको बंदर और शेर की कहानी पसंद आयी होगी। 

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बुधवार, 3 मार्च 2021

गरीब की बेटी की कहानी

गरीब की बेटी

 गरीब की बेटी -

दोस्तों आज में आपको एक बहुत ही दिलचस्प कहानी सुनुँगा। जिसका नाम है गरीब की बेटी।  


एक दिन गरीब घर की लड़की अंशिका अपनी माँ सरोज के साथ जा रही थी। रास्ते में उन्हें एक चाय की दुकान नज़र आती है। 


माँ सरोज चायवाले से कहती है। भैया में बहुत दूर गांव से आयी हूँ। मुझे अपनी  बेटी का पेट भरना है।  कृपया मुझे अपनी दुकान में नौकरी दे दे। 


चायवाला - बहना, मेरे यहाँ  पर कोई काम नहीं है। में तुम्हे पैसे भी नहीं दे पाउँगा तुम कही और पर काम ढूढ़ लो। 


सरोज - भैया में आपकी दूकान में कुछ भी कर लुँगी। बर्तन भी मांज दूंगी। मुझे पैसे नहीं चाहिए आप बस मुझे और मेरी बेटी को खाने को दे देना। 


चायवाला - अच्छा  ठीक है। वैसे तुम यहाँ इस शहर में क्या कर रही हो। 


सरोज - अंशिका  के  पिता के गुजर जाने के बाद। परिवार वालो ने मुझे और बेटी को धक्का मार कर बहार निकाल दिया। इसी वजह से में यहाँ इस शहर में आयी हु। 


चायवाला - ठीक है बहना। तुम यहाँ काम कर सकती हो। 

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सरोज दिन रात एक कर के काम करती थी। वह अपनी बेटी का पेट तो भर देती थी परन्तु उन्हें सड़क पर ही सोना पड़ता था। 


चायवाले से यह नहीं देखा गया। उसने एक बहुत बड़े बिजनेसमैन अलोक से बात की और सरोज और उसकी बेटी को अलोक के घर में काम पर लगवा दिया। 


अलोक के घर में उसकी बीवी और बेटी रहती थी। 


अलोक की बीवी - सरोज तुम्हे मन लगा के काम करना है और याद रखना तेरी बेटी मेरी बेटी भावना से दूर रहे। अगर तेरी बेटी की वजह से मेरी बेटी बीमार हुई तो में तुझे तभी काम से निकाल दूंगी। 


सरोज - जी मैडम। ध्यान रहेगा। 


सरोज ने घर में काम शुरू कर दिया। एक दिन उसको अलोक की बीवी की आवाज आयी। जब वह बहार आयी। उसने देखा अंशिका के हाथ में भावना की ड्रेस है। जिसे वह उल्ट पुलट के देख रही थी। 


अलोक की बीवी - अंशिका  तुझे तेरी माँ ने समझया नहीं की मेरी बेटी और उसके सामान से दूर रहना है। 


सरोज - मैडम जी माफ कर दीजिए।  आगे से ऐसा नहीं होगा। 


अलोक की बीवी - ध्यान रखो। आगे से तुम्हारी बेटी मेरी बेटी के किसी सामान को नहीं छुएगी। 


एक दिन अलोक की बीवी सरोज को ले कर बाजार जाती है। घर पर अंशिका और भावना अकेले रह जाते है। अचानक भावना को चक्कर आने लगते है। वह जमीन पर गिर जाती है। 


अंशिका यह देख कर उसके पास भाग कर आती है। उसे बहोश देख वह पानी लाती है और उसके चेहरे पर छींटे मारती है। 


वह उसके हाथ मलने लगती है परन्तु भावना नहीं उठती है। अंशिका बहार भाग कर जाती है। और पड़ोस के अंकल को ले आती है। 


अंकल ने भावना के पापा को कॉल किया और डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने भावना को इंजेक्शन दिया। तब तक सरोज ,अलोक और उसकी पत्नी भी आ चुके थे। 


डॉक्टर - अचानक पानी की कमी होने से B.P low  हो गया था। अगर मुझे टाइम पर नहीं बुलाया होता तो कुछ भी हो सकता था। 


 अंकल - इसका श्रेय इस बच्ची को जाता है। अगर यह मुझे नहीं बताती तो में डॉक्टर साहब को नहीं बुला पाता। 

 

भावना की माँ को अपनी गलती का एहसास हो जाता है। वह अब अंशिका और भावना को आपस में खेलने से नहीं रोकती थी। 


दोस्तों इस कहानी से यह सिख मिलती है। हमे कभी भी गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए। हमे केवल  एक चीज़ देखनी चाहिए वह है इंसान। 


दोस्तों आपको गरीब की बेटी की कहानी किसी लगी। कृपया कमेंट कर के बताये। 

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