गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

5 Tips to prevent corona




Tips 1.  Wear a mask (handmade, purchased).

 

Tips 2. Keep social- distancing (1 meter distance).

 

Tips 3. Wash your hands after 20 minutes.

 

Tips 4. Wash your mask after a regular interval of time.

 

Tips 5. Eat healthy food.

 

लेबल: ,

सोमवार, 19 अप्रैल 2021

होशियार मिस्त्री की चालाकी पंचतंत्र की कहानी

होशियार मिस्त्री की चालाकी पंचतंत्र की कहानी

 होशियार मिस्त्री की चालाकी -

कहानी शुरू होती है रामपुर के छोटे से गांव से। गांव में एक मिस्त्री रहा करता था। एक दिन वह अपनी पत्नी से बात कर रहा होता है। 


पत्नी - क्या हुआ जी, आज आप बहुत दुखी लग रहे है। 


मिस्त्री -  क्या बताऊ रानी ,में अपने मिस्त्री के काम से दुखी हो चूका हु। मैंने बहुत मेहनत कर के दुसरो के लिए अच्छे और सुन्दर घर बनवाये है। 


परन्तु खुद के लिए कुछ नहीं बना पाया। हम अब भी एक झोपडी में ही रहते है। 


पत्नी - चिंता मत करो जी , एक दिन आप अपना खुद का बांग्ला बनवायेंगे। 

Also Read-  Budhiman Chaiwala

मिस्त्री - कैसे होगा ये सब, मिस्त्री के काम में हमे दो वक्त की रोटी मिल जाये वही बहुत होती है। 


पत्नी - जी खुद पर भरोसा रखे , सब कुछ होगा चिंता ना करे। 


तभी एक आदमी आता है और खजान मिस्त्री को बुलाता है कहता है खजान तुम्हे जमींदार ने बुलवाया है। 


जमींदार - भाई खजान ,मुझे एक बहुत बड़ा और सुन्दर बंगला बनवाना है। यह रखो अपना एडवांस और जल्दी से मेरा बंगला तैयार कर दो। 


मिस्री पैसे रख लेता है और बंगला बनाना शुरू कर देता। 

Also, Read - Gadhe ki kali juban

बंगला बनाते समय वह सोचता है। जमींदार ने मुझे ५०००० रूपए दिए है बांग्ला बनवाने के लिए, क्यों न में सस्ती चीज़ो का प्रयोग करु और सस्ते में बंगला बना दू। 


यह बंगला २ से ३ साल तो खड़ा रहेगा। बाकि पैसो को ले कर में यहाँ से दूर चला जाउगा और वहाँ पर खुद का बंगला बनाऊगा। 


मिस्त्री सस्ती चीज़े ला कर बंगला बना देता है। वह बंगले की फिनिशिंग इतनी अछि करता है की जमींदार को लगता है बंगले पे काफी जयदा पैसे लगे है। 


जमींदार - खजान मिस्त्री ,हमारे परिवार ने यह तय किया है।  तुमने हमारे लिए बहुत सारे बंगले बनवाये है। इस लिए यह बंगला तुम्हे इनाम में दिया जाता है। 


मिस्त्री अचम्भे में - जमींदार सहाब,अपने यह मुझे पहले क्यों नहीं  बताया। 


जमींदार - में तुम्हे सरप्राइज देना चाहता था। 


मज़बूरी में खजान मिस्त्री को वह बंगला लेना पड गया। वह अपनी बीवी के साथ वह पर रहने लग गया था। 


वह दिनरात यही सोचता उसने यह कच्चा बंगला क्यों बनाया। 


वह मन ही मन सोचता। अब में क्या करू।  ना तो में अब पड़ोस के गांव में बांग्ला बना सकता हु। न ही इस बंगले में २ साल से ज्यादा रह सकता हु। 


खजान मिस्त्री को मज़बूरी में वहाँ पर रहना पड़ा। जमींदार ने दया दिखा कर ,खजान की बीवी के लिए नई गहने और खजान के लिए नय कपड़े भी बनवाये थे। 


जिंदगी काटते हुए २ साल भी हो गए थे।  वह  दिन भी आ गया था जब बांग्ला गिरने वाला था। 


खजान एक दिन पहले ही अपनी बीवी को ले कर उसके मायके चला गया था। एक दिन बाद वह बांग्ला पूरी तरह से गिर जाता है। 


अगले दिन खजान बंगले के आगे आ कर रोने का नाटक करता है। 


जमींदार के पूछने पे कहता है शायद  उसके भाग में झोपड़ा है। और वह अपनी बीवी को ले कर झोपड़े में वापिस चला जाता है। 


वह वापिस अपना मिस्त्री का काम शुरू कर देता है। 


सीख - हमे अपने काम के साथ कभी भी बेईमानी नहीं करनी चाहिए। अगर मिस्त्री ने अपने काम के साथ बेइमानी नहीं की होती तो वह भी आज बंगले में ऐशो आराम  करता। 

लेबल:

रविवार, 11 अप्रैल 2021

बुद्धिमान चायवाला पंचतंत्र की कहानी

बुद्धिमान चायवाला पंचतंत्र की कहानी

बुद्धिमान चायवाला पंचतंत्र की कहानी-

एक गांव में एक चायवाला रहता था। वह दिन रात बहुत मेहनत करता था। परन्तु चाय  काफी सस्ती होती है। इसलिए वह ज्यादा पैसे नहीं कमा पाता था। 


अगर चायवाले की कभी कमाई भी हो जाये तो उसके कुछ मुफ्तखोर दोस्त आ जाते थे। दोस्ती की वजह से वह उन्हें चाय पिला देता था। 


कभी कभी कोई भिखरी आ जाता था। चायवाला उसे भी मुफ्त में चाय पिला देता था। इसी वजह से उसे बहुत घाटा हो रहा था।


चाय की रेहड़ी एक ऐसी जगह होती है जहाँ पर लोग अपने दुःख दर्द बाटते है। चायवाला सबके दुःख दर्द को ध्यान से सुनता था। 


एक दिन दो दोस्त आपस में बाते कर रहे थे। चायवाला उनकी बाते सुन रहा था। 


रामु - क्या हुआ भीमा आज बहुत दुखी दिख रहे हो। 

Also,read- Garib ki beti

भीमा - यार कुछ नहीं , मेरी बीवी की तबियत बहुत खराब है और डॉक्टर के पास जाने को पैसे नहीं है। 


रामु - यार, मेरी तनखा अभी नहीं आयी है। एक काम करो चायवाले से माँग के देखो। 


भीमा - नीरज भाई , क्या आप मुझे 1000 रुपये दे सकते है। में आपको 2 दिन बाद दे दूंगा। 


चायवाला - ठीक है। और वह दे देता है। 


2 दिन बाद भीमा आ कर ,नीरज के पैसे वापिस कर देता है। नीरज अभी अपने पैसे रखने ही वाला होता है। इतने में एक आदमी आता है और नीरज से 300 रूपए की मदद मांगता है। 


नीरज उसकी भी मदद कर देता है। अगले दिन वह व्यक्ति नीरज के पैसे वापिस कर देता है। 

Also.Read-  Gadhe ki kali juban

कुछ समय बाद एक और व्यक्ति आता है। वह नीरज से कहता है। भाई मेरी मदद कर दो। मेने सुना है आप सभी की मदद करते हो। प्लीज मुझे 2000 रूपए दे दो। 


चायवाला - भाई मेरे पास इतने पैसे नहीं होते है। मेने भीमा की वैसे ही मदद की थी। 


वह व्यक्ति रोने लगता है। उस पर दया कर के नीरज उसे 2000 रूपए पकड़ा देता है। 


कुछ दिनों बाद वह व्यक्ति उसे २000  की बजाए 2500 रूपए पकड़ा देता है। 


चायवाला - भाई यह जयदा रूपए दे दिए अपने मुझे। 


व्यक्ति - कोई नहीं नीरज भाई। यह आपका इनाम है मेरी एन मोके पर मदद करने के लिए। 


नीरज उन पैसो को रख लेता है। 


रात में चायवाला वाला सोते समय बुद्धि लगता है। वह सोचता है अगर वह लोगो की इसी तरह मदद करता रहे और लोग उसे ऐसे ही एक्स्ट्रा पैसे देते रहे तो उसके पास कमाई का अतरिक्त साधन हो जायगा। 


फिर चायवाला सभी की बाते ध्यान से सुनता है। कुछ उसे मदद मांगते और कुछ को वह खुद से मदद की पैसकाश करता। 


धीरे धीरे उसका यह रोजगार चल गया। उसकी चाय की छोटी सी दुकान अब एक बड़ी दुकान में बदल गयी। 


अब उसका मुख्य रोजगार लोगो को पैसे दे कर मदद करना हो गया। 


चायवाले का स्वाभाव इतना अच्छा था। लोगो उसको पसंद करने लगे सभी आसपास के गांव में उसका नाम हो गया। 


गांव के मुख्या का चुनाव हुआ वहाँ पर भी नीरज चायवाला को मुख्या बनया गया। 


सीख -  जिंदगी सभी को आगे निकलने का एक मौका देती है। अगर व्यक्ति उस मोके को भुना ले और अपनी बुद्धिमानी का उपयोग करे तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं सकता। 


दोस्तों आपको मेरी बुद्धिमान चायवाले की कहानी कैसी लगी। अगर आप ध्यान से इस कहानी को पढ़ते है तो आपको यह कुछ हमारे प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी की जीवन कहानी जैसी लगती है। 

लेबल: